Sawan Somwar 2020 Mantra: आज इन मंत्रों का जाप करने से दूर होंगे सारे दुख, बनेगी भोले शंकर की कृपा
By गुणातीत ओझा | Published: July 6, 2020 01:36 PM2020-07-06T13:36:12+5:302020-07-06T14:50:18+5:30
आज 6 जुलाई से सावन (Sawan) शुरू हो रहा है। आज ही सावन का पहला सोमवार (Sawan First Monday) भी है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक श्रावण मास से ही व्रत और पर्वों की शुरुआत होती है। हिन्दू समाज में श्रावण मास का अलग ही महात्म होता है। सावन का ये पूरा माह भगवान शिव को समर्पित होता है।
आज 6 जुलाई 2020 से सावन का पवित्र महीना शुरु हो चुका है। श्रावण के महीने भगवान शिव बेहद प्रसन्न रहते हैं। भगवान शिव के इस विशेष सावन माह में भक्त उनकी उपासना करते हैं। सावन महीना आज से प्रारंभ होकर 3 अगस्त को खत्म होगा। मान्यताओं के अनुसार, सावन महीने में पड़ने वाले पहले सोमवार को भगवान शिव की पूजा अर्चना करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस महीने शिव भक्त कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। आइये आपको बताते हैं श्रावणी सोमवार के मंत्रों के बारे में..
इन मंत्रों का करें जाप
– ।। श्री शिवाय नम: ।।
– ।। श्री शंकराय नम: ।।
– ।। श्री महेशवराय नम: ।।
– ।। श्री सांबसदाशिवाय नम: ।।
– ।। श्री रुद्राय नम: ।।
– ।। ॐ पार्वतीपतये नमः ।।
– ।। ॐ नमो नीलकण्ठाय ।।
सावन के सोमवार व्रत का महत्व
भगवान शिव की पूजा के लिए और खास तौर से वैवाहिक जीवन के लिए सोमवार की पूजा की जाती है।
अगर कुंडली में विवाह का योग न हो या विवाह होने में अड़चने आ रही हों तो संकल्प लेकर सावन के सोमवार का व्रत किया जाना चाहिए।
अगर कुंडली में आयु या स्वास्थ्य बाधा हो या मानसिक स्थितियों की समस्या हो तब भी सावन के सोमवार का व्रत श्रेष्ठ परिणाम देता है।
सोमवार व्रत का संकल्प सावन में लेना सबसे उत्तम होता है, इसके अलावा इसको अन्य महीनों में भी किया जा सकता है।
इसमें मुख्य रूप से शिव लिंग की पूजा होती है और उस पर जल तथा बेल पत्र अर्पित किया जाता है।
सावन के सोमवार की पूजा विधि
सुबह स्नान करने के बाद शिव मंदिर जाएं।
घर से नंगे पैर जाएं और घर से ही लोटे में जल भरकर ले जाएं। लॉकडाउन में आप घर पर भी जल चढ़ा सकते हैं।
शिवलिंग पर जल अर्पित करें, भगवान को साष्टांग प्रणाम करें।
खड़े होकर शिव मंत्र का 108 बार जाप करें।
सायंकाल भगवान के मंत्रों का फिर जाप करें तथा उनकी आरती करें।
पूजा की समाप्ति पर केवल जलीय आहार ग्रहण करें।
अगले दिन अन्न वस्त्र का दान कर व्रत का पारण करें।