Sawan Shivratri 2021: सावन की शिवरात्रि कब है? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 3, 2021 03:34 PM2021-08-03T15:34:27+5:302021-08-03T15:37:47+5:30
Sawan Shivratri 2021: सावन के महीने में सोमवार व्रत की तरह ही शिवरात्रि का भी बहुत महत्व है। इस बार सावन में शिवरात्रि 6 अगस्त को है।
Sawan Shivratri:सावन में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। सावन का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि सावन माह में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस पवित्र महीने में हर सोमवार की तरह सावन शिवरात्रि का भी महत्व विशेष है। आइए जानते हैं इस बार कब है सावन शिवरात्रि
Sawan Shivratri: सावन शिवरात्रि कब है
सावन शिवरात्रि का पर्व इस बार 6 अगस्त 2021 (शुक्रवार) को मनाया जाएगा। इस दिन शिव भक्त व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा और उपासना करते हैं।
पंचांग के अनुसार ये चतुर्दशी तिथि है। हर महीने की इसी तिथि को शिवरात्रि की पूजा की जाती है। चतुर्दशी की तिथि का आरंभ 06 अगस्त दिन शुक्रवार शाम को 06 बजकर 28 मिनट से होगा और इसका समापन 07 अगस्त 2021 को शाम 07 बजकर 11 मिनट पर होगा।
6 अगस्त को सावन शिवरात्रि का शुभ समय
शाम 07: 08 बजे से रात 09 : 48 बजे तक
रात 09 : 48 बजे से देर रात 12 :27 बजे तक
देर रात 12:27 बजे से तड़के 03 : 06 बजे तक
सावन शिवरात्रि पारण का समय
सावन शिवरात्रि व्रत का पारण 07 अगस्त को प्रात: 05 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 47 मिनट तक कर सकते हैं। व्रत का पारण नियम पूर्वक करना चाहिए और इसके बाद दान आदि का कार्य भी करना चाहिए।
सावन महीने में शिवरात्रि की पूजा विधि
सावन के शिवरात्रि के दिन सुबह- सुबह उठकर स्नान करने के बाद भोलेनाथ की पूजा करने का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद शिव मंदिर में जाकर भोलनाथ को गंगाजल और दूध का अभिषेक करें।
इस दिन विधि- विधान से पूजा करें। भोलनाथ को भाग, धतूरा, बेलपत्र, आदि चढ़ाएं। इस दिन फलाहार रखा जाता है। इस व्रत का पारण अगली सुबह को किया जाता है।
शिवरात्रि पर करें ये खास उपाय
सावन के महीने में भोलेनाथ को भाग, धतूरा और बेलपत्र और गंगाजल अर्पित करें। मान्यता है कि इस महीने में भोलेनाथ की प्रिय चीजें चढ़ाने से आपकी सभी परेशानियां दूर हो जाती है। इस महीने में सांप की पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इस महीन में महामृत्युजय और शिवमंत्रों का जाप करना चाहिए।