Sawan Putrada Ekadashi Vrat: सावन पुत्रदा एकादशी व्रत कल, नि:संतान दंपति इस तरह करें पूजा, संतान प्राप्ति की होगी पूरी कामना
By रुस्तम राणा | Published: August 7, 2022 02:15 PM2022-08-07T14:15:14+5:302022-08-07T14:16:52+5:30
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सावन पुत्रदा एकादशी व्रत करने से निःसंतान दंपति को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह व्रत सोमवार को 8 अगस्त को रखा जाएगा।

Sawan Putrada Ekadashi Vrat: सावन पुत्रदा एकादशी व्रत कल, नि:संतान दंपति इस तरह करें पूजा, संतान प्राप्ति की होगी पूरी कामना
Sawan Putrada Ekadashi Vrat:सावन पुत्रदा एकादशी व्रत 8 अगस्त, 2022 को रखा जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को सावन पुत्रदा एकादशी व्रत रखा जाता है। हिन्दू धर्म में हर एक व्रत का अपना अलग महत्व होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सावन पुत्रदा एकादशी व्रत करने से निःसंतान दंपति को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्रावण मास में यह एकादशी तिथि सोमवार के दिन पड़ी है, इसलिए इस व्रत करने से व्रती को भगवान शिव भी प्रसन्न होंगे।
संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है व्रत
मान्यता है कि इस दिन निसंतान दंपत्ति व्रत रख श्रीहरि विष्णु जी की विधि पूर्वकर पूजा करें तो जल्द योग्य संतान की प्राप्ति होगी। साथ ही संतान संबंधी परेशानियां दूर हो जाती है। इस दिन सावन का आखिरी और चौथा सोमवार भी है ऐसे में शिव-विष्णु की पूजा का बेहद शुभ संयोग बना है। आइए जानते हैं पवित्रा एकादशी का मुहूर्त और पूजन विधि।
सावन पुत्रदा का शुभ मुहूर्त
श्रावण पुत्रदा एकादशी तिथि का आरंभ-7 अगस्त 2022 रात 11:50 बजे से
श्रावण पुत्रदा एकादशी तिथि का समापन- 8 अगस्त 2022 रात 9 बजे तक
पुत्रदा एकादशी व्रत पारण समय- 9 अगस्त 2022, सुबह 06.01 बजे से 8:26 बजे तक
सावन पुत्रदा एकादशी व्रत विधि
प्रात: काल स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें।
पूजा स्थान पर एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं।
भगवान विष्णु की तस्वीर स्थापित करें।
एकादशी पर भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख से दूध में केसर मिलाकर अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पीला फल, पीले पुष्प, पंचामृत, तुलसीदल, फल, मिठाई, सुपारी, लौंग, चंदन, अर्पित करें।
श्रीहरि के साथ मां लक्ष्मी की पूजा षोडोपचार से पूजा करें।
धूप-दीप जलाकर श्रावण पुत्रदा एकादशी पर की कथा पढ़ें।
विष्णु जी के मंत्रों का एक माला जाप करें।
अब भगवान विष्णु की आरती करें और गरीबों को सामर्थ्य अनुसार दान करें।
अगले दिन द्वादशी पर विधि पूर्वक पूजा-पाठ कर व्रत का पारण करें।