सावन विशेष: भगवान शिव ने तोड़ा था मां गंगा का अभिमान, कैद कर लिया था अपनी जटाओं में
By गुणातीत ओझा | Published: July 28, 2020 02:59 PM2020-07-28T14:59:24+5:302020-07-28T14:59:24+5:30
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा नदी के स्रोत शिव हैं और वह उनकी जटाओं से बहती हैं।
भगवान शिव अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते हैं। माना जाता है कि सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से कई लाभ होते हैं। भगवान शिव से जुड़े कई प्रसंग हमें पुराणों में देखने को मिलते हैं। ऐसा ही एक प्रसंग मिलता है भगवान शिव और गंगा मां का। भगवान शिव की जटाओं से गंगा मां का धरती पर आगमन हुआ।
धरती की सबसे पवित्र मानी जाने वाली मां गंगा को भगवान शिव नें अपने जटाओं में क्यों बांधा इसे लेकर कई पौराणिक कथाएं मिलती हैं। लोक कथाओं में भी इसके अलग-अलग कारण बताए जाते हैं। आइए आपको बताते हैं ऐसी ही एक कथा जिसमें पता चलता है कि भगवान शिव ने आखिर क्यों गंगा को अपनी जटाओं में बांधा है।
प्राचीन कथा के अनुसार मां गंगा को देव नदी कहा जाता है। मां गंगा को पृथ्वी पर लाने का काम लिए महाराज भागीरथ ने किया था। महाराज भागीरथ की तपस्या से खुश होकर मां गंगा धरती पर आने को तैयार हो गई थीं। मगर गंगा मां को इस बात का अभिमान था कि कोई उनका वेग सह नीं पाएगा।
भागीरथी ने मांगा वर
जब मां गंगा ने भागीरथी से कहा कि उनका वेग धरती का कोई मनुष्य सह नहीं पाएगा तो भागीरथी ने भगवान शिव की उपासना शुरू कर दी। अपने भक्तों का दुख हरने वाले शिव शम्भू प्रसन्न हुए उन्होंने भागीरथी से वर मांगने के लिए कहा।
तब भागीरथी ने सारी बात भोले के सामने कही। गंगा जैसे ही स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरने लगीं तो गंगा का गर्व दूर करते हुए भगवान शिव ने उन्हें जटाओं में कैद कर लिया। वह छटपटाने लगी और शिव से माफी मांगी। तब शिव ने उन्हें अपनी चटा से एक छोटे से पोखर पर छोड़ दिया। जहां से गंगा सात धाराओं में प्रवाहित हुईं। इस तरह मां गंगा का आगमन धरती पर हुआ जो धरती की सबसे पवित्र नदी बताई जाती हैं।