Sarv Pitru Amavasya 2021: सर्वपितृ अमावस्या कल, होगा श्राद्ध का समापन, इस विधि से करें पितरों का श्राद्ध
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 5, 2021 12:06 PM2021-10-05T12:06:05+5:302021-10-05T12:07:44+5:30
इस बार सर्व पितृ अमावस्या के दिन 11 सालों बाद गजछाया योग का निर्माण हो रहा है। इसमें सूर्य और चंद्रमा दोनों ही हस्त नक्षत्र में होंगे। सर्व पितृ अमावस्या का दिन पितृजनों का तर्पण और पिंडदान करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाती है।
सर्व पितृ अमावस्या 6 अक्टूबर, बुधवार को है। हिन्दू शास्त्रों में आश्विन अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या, पितृ अमावस्या या महालय अमावस्या कहते हैं। यह श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है। मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में हमारे दिवंगत परिजन धरती में विचरण करने आते हैं और आश्विन माह की अमावस्या के दिन पुनः परलोक चले जाते हैं। एक प्रकार से सर्व पितृ अमावस्या का दिन पितरों की विदाई का दिन है।
बन रहा है गजछाया योग
इस बार महालय अमावस्या के दिन शुभ योग बन रहा है। इस बार सर्व पितृ अमावस्या के दिन 11 सालों बाद गजछाया योग का निर्माण हो रहा है। इसमें सूर्य और चंद्रमा दोनों ही हस्त नक्षत्र में होंगे। सर्व पितृ अमावस्या का दिन पितृजनों का तर्पण और पिंडदान करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाती है।
सर्व पितृ अमावस्या का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ : 5 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 04 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त : 6 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 34 मिनट तक
श्राद्ध करने का शुभ समय : 6 अक्टूबर को दिन में 11 बजे से लेकर दोपहर 2:30 बजे तक
इस विधि से करें पितरों का श्राद्ध
इस दिन प्रातः उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब श्राद्ध के लिए सात्विक भोजन तैयार करें। पकवान में से थोड़ा-थोड़ा भोजन निकाल कर एक थाली में लगाएं। अब अपने घर के आंगन में या छत पर जाकर पत्तल को दोनों में भोजन को जल के साथ रखें। अब पितरों से उसे ग्रहण करने का आग्रह करें और किसी भी त्रुटि के लिए उनसे क्षमा मांगे। शाम के समय सरसों के तेल के दीपक जलाकर चौखट पर रखें। अब पितरों से आशीर्वाद बनाए रखने और परलोक लौटने का आग्रह करें।
इस दिन किन पितरों का होता है श्राद्ध
इस दिन उन पितरों का भी श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती है। इस दिन विधि-विधान से पितरों का तर्पण करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।