Sankashti Chaturthi 2019: पढ़िए संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा

By मेघना वर्मा | Published: November 15, 2019 09:00 AM2019-11-15T09:00:44+5:302019-11-15T09:00:44+5:30

Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी मनाया जाता है। आज के दिन देश भर में गणपति की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

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Sankashti Chaturthi 2019: पढ़िए संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा

Highlightsसंकष्टी चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी पाप कट जाते हैं।

देशभर में आज संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। कार्तिक माह के बाद आने वाले मार्गशीर्ष माह में वैसे तो श्रीकृष्ण की पूजा होती है मगर इसी माह में विघ्नहर्ता गणपति की पूजा भी की जाती है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी मनाया जाता है। आज के दिन देश भर में गणपति की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

संकष्टी चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। बता दें पूर्णिमा के दिन आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी पाप कट जाते हैं साथ ही इंसान की सभी मनोकामना भी पूरी होती है। कहते हैं इस दिन गणेश जी पर दु्र्वा चढ़ाना शुभ होता है। 

संकष्टी चतुर्थी की कथा

लोककथा के अनुसार त्रेता युग में राजा दशरथ एक बार वन में शिकार के लिए गए थे। उस समय उनके बाण से ब्राह्मण  श्रवण कुमार की मृत्यु हो गई थी। श्रवण कुमार मातृ-पितृ भक्त थे। श्रवण के माता-पिता नेत्र-विहीन थे। श्रवण ही एक मात्र अपने माता-पिता का सहारा थे जब राजा दशरथ ने श्रवण के माता पिता को उनके पुत्र की मृत्यु की दुखद सूचना दी तो वे बहुत दु:खी हुए। 

शोक से उन्होंने राजा दशरथ को शाप दे दिया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पुत्र वियोग में हम मृत्यु को प्राप्त हो गए वैसे ही पुत्र वियोग में तुम्हारी भी मृत्यु होगी। शाप सुन कर राजा दशरथ बहुत दुखी हुए। तभी रानी कैकेयी ने वरदान स्वरूप राजा दशरथ से राम को वनवास भेजने की मांग की। 

राम के साथ लक्ष्मण और सीता भी वनवास गए थे। वन में रावण ने सीता का हरण कर लिया। सीता की खोज में हनुमान की मुलाकात गिद्धराज संपाती से हुई, वहां गिद्धराज संपाती ने बताया कि समुद्र के पार राक्षसों की नगरी लंका है, वहीं अशोक वृक्ष के नीचे माता जानकी बैठी हुई हैं। हनुमान जी ने इस कार्य को करने से पहले श्री गणेश की कृपा लेनी चाही। ताकि वो मां सीता को खोज लें। 

इस तरह हनुमान जी ने गणेश जी का संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया और इसके प्रभाव से वह क्षण भर में समुद्र को लांघ गए और इस तरह माता सीता का पता चला। श्री गणेश की कृपा से श्री राम को इस युद्ध में विजय प्रप्त हुई। इस तरह जो भी इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करता है उसे सफलता अवश्य प्राप्त होती हैं।

संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त

संकष्टी चतुर्थी तिथि- 15 नवंबर 
चतुर्थी तिथि प्रारंभ - 7:46 PM (15 नवंबर)
चतुर्थी तिथि समाप्त - 7:15PM (16 नवंबर)
चंद्रोदय - 8:30 PM

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