सकट चौथ आज, इस पूजन विधि से घर लाएं ढेरों खुशियां, अंत में दी जाती ऐसी बलि
By गुलनीत कौर | Published: January 24, 2019 09:30 AM2019-01-24T09:30:34+5:302019-01-24T10:10:13+5:30
सकट चौथ भगवान गणेश के पूजन का पर्व है। इसदिन अमूमन महिलाएं ही गणेश के नाम का व्रत करती हैं, किन्तु पुरुष और बच्चे चाहें तो वे भी व्रत कर सकते हैं।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भगवान गणेश को समर्पित माना जाता है। इसे संकष्टि चतुर्थी के नाम से जानते हैं। लोग इसदिन गणेश के नाम का उपवास करते हैं और अपने जीवन के विघ्नों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। किन्तु माघ महीने में पड़ने वाली संकष्टि चतुर्थी को 'सकट चौथ' कहा जाता है। यह हर महीने आने वाली संकष्टि चतुर्थी से अधिक महत्वपूर्ण और फलदायी होती है। इस वर्ष 24 जनवरी, 2019 को सकट चौथ है।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह पर्व भगवान गणेश के पूजन का पर्व है। इसदिन अमूमन महिलाएं ही गणेश के नाम का व्रत करती हैं, किन्तु पुरुष और बच्चे चाहें तो वे भी व्रत कर सकते हैं। यह व्रत परिवार और बच्चों की खुशियों एवं विघ्न रहित जीवन की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
सकट चौथ का महत्व
एक पौराणिक कथा के अनुसार माघ महीने की संकष्टि चतुर्थी पर ही विघ्नहर्ता भगवान गणेश ने देवताओं के कष्ट दूर किए थे। उन्हें परेशानी में देखकर उनकी मदद की। इसी के बाद से भगवाना गणेश को कष्ट निवारण देवता की संज्ञा प्राप्त हुई।
सकट चौथ व्रत, पूजा विधि
सकट चौथ में दिनभर निर्जला उपवास किया जाता है। किन्तु कुछ महिलाएं फलाहार का सेवना करते हुए भी व्रत करती हैं। दिनभर के उपवास के बाद शाम को चन्द्रमा के उदय होने पर पूजा की जाती है। पूजा में भोग लगाने के लिए गुड़, चीनी और तिल को मिलाकर लड्डू बनाए जाते हैं।
ऐसे करें पूजा
चंद्रमा उदय होने पर सबसे पहले भगवान गणेश का आह्वान किया जाता है। इसके उपरान्त भोग के लिए बनाए गए लड्डुओं को चंद्रमा को दिखाकर भोग लगाया जाता है। साथ में गणेश मन्त्र का निरंतर जाप किया जाता है। लड्डुओं के बाद रामदाना, लइया, मूंगफली, गजक आदि भी एक एक करके चंद्र देव को दिखाया जाता है।
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सकट चौथ पर बकरे की बलि
माघ महीने के कृष्ण पक्ष को आने वाली सकट चौथ पर तिल से बने हुए बकरे की बलि भी दी जाती है। तिल और गुड़ को मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है और फिर उसके उपयोग से तिल का बकरा बनाया जाता है। इसके पीछे यह मान्यता है कि यह बकरा हमारे पापों का बकरा है और आज सकट चौथ के व्रत के माध्यम से हम अपने पापों की बल्कि देने जा रहे हैं।