साईं बाबा का जन्म कहां हुआ था, उनके जन्म से जुड़ा क्या है पूरा विवाद है, जानिए
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 19, 2020 08:58 AM2020-01-19T08:58:01+5:302020-01-19T08:58:01+5:30
महाराष्ट्र में ही मौजूद और शिरडी से करीब 270 किलोमीटर दूर पाथरी को कई बार साईं का जन्म स्थान बताया जाता रहा है। पाथरी में साईं से जुड़ा एक मंदिर भी मौजूद है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पाथरी को साईं बाबा का जन्मस्थान बताते हुए उसके विकास के लिए 100 करोड़ रुपये के ऐलान ने विवाद खड़ा कर दिया है। इसका सबसे ज्यादा असर शिरडी में देखा जा रहा है जो अब तक साईं बाबा के भक्तों के लिए सबसे बड़ा तीर्थ स्थल रहा है। शिरडी साईं ट्रस्ट ने उद्धव ठाकरे के बयान की आलोचना की है और कहा है कि पाथरी को साईं का जन्म स्थान बताना ठीक नहीं है क्योंकि स्वयं साईं बाबा ने अपने जन्म के बारे में कभी कुछ नहीं बताया।
साईं बाब के जन्म से जुड़ा क्या है विवाद?
दरअसल, साईं बाब के जन्म को लेकर कई तरह की कहानियां मौजूद हैं। कई लोग उनका जन्म स्थान पाथरी बताते हैं तो वहीं कई इस बात को मानकर चलते हैं कि उनके जन्म को लेकर कोई पुख्ता जानकारी मौजूद ही नहीं है। वहीं, एक धड़ा मानता है कि उनका जन्म नहीं हुआ और वे एक अवतार थे।
ऐसा कहा जाता है कि साईं बाबा पहली बार 1854 में शिरडी में दिखाई दिए थे। उस समय उनकी उम्र 16 साल थी। वे एक पेड़ के नीचे बैठे देखे गये। इस बाल योगी को देखकर लोग इनकी ओर आकर्षित हुए। हालांकि, कुछ समय बाद साईं फिर यहां से गायब हो गये। कथा के अनुसार काफी दिन बाद वह एक बार फिर शिरडी पहुंचे। 1918 में दशहरे के दिन साईं बाबा ने शिरडी में समाधि ले ली।
इन सबके बीच महाराष्ट्र में ही मौजूद और शिरडी से करीब 270 किलोमीटर दूर पाथरी को कई बार साईं का जन्म स्थान बताया जाता रहा है। पाथरी में साईं से जुड़ा एक मंदिर भी मौजूद है और वहां रोज पूजा भी होती है। इस मंदिर में साईं से जुड़े कुछ सामान भी रखे गये हैं और दावा किया जाता रहा है कि इनका इस्तेमाल साईं ने अपने जीवन में किया था।
शिरडी को पाथरी के नाम पर क्यों है विरोध
शिरडी की ओर से जन्म स्थान को लेकर महाराष्ट्र सरकार के दावे का विरोध अभी विश्वास और परंपराओं की बात को लेकर किया जा रहा है लेकिन जानकार मानते हैं कि इसके पीछे आर्थिक कारण भी मौजूद हैं। पाथरी के शिरडी के जन्मस्थान के तौर पर विकास के बाद शिरडी को आर्थिक तौर पर नुकसान हो सकता है। ऐसा इसलिए कि दूसरा तीर्थक्षेत्र साई बाबा के नाम से विकसित हो जाएगा। पूरा विवाद इसी को लेकर है।