रामकृष्ण परमहंस जयंती : एक ऐसा योगी जिसने स्वामी विवेकानंद को ईश्वर के दर्शन कराये

By उस्मान | Published: February 17, 2019 05:07 PM2019-02-17T17:07:47+5:302019-02-17T17:07:47+5:30

श्री रामकृष्ण परमहंस के उपदेशों ने नरेंद्रनाथ दत्ता जैसे लोगों को बहुत आकर्षित किया। जिन्हें हम स्वामी विवेकानंद के नाम से जानते है।  

ramkrishna paramhans birthday special, history, mission, quotes in hindi | रामकृष्ण परमहंस जयंती : एक ऐसा योगी जिसने स्वामी विवेकानंद को ईश्वर के दर्शन कराये

रामकृष्ण परमहंस जयंती : एक ऐसा योगी जिसने स्वामी विवेकानंद को ईश्वर के दर्शन कराये

भारत की उन्नीसवीं शताब्दी में श्री रामकृष्ण परमहंस को धार्मिक शख्सियतों में से एक योगी माना जाता है। श्री रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी, 1836 में बंगाल के हुगली जिले के कमरपुकुर गांव में हुआ था। वह बहुत सरल योगी के साथ-साथ अध्यात्मिक गुरू भी थे। उनके पिता खुदीराम चट्टोपाध्याय और माता का नाम चंद्रमणि देवी था। वह बहुत गरीब परिवार से थे। 18 फरवरी को रामकृष्ण परमहंस की जयंती पर हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातें बता रहे हैं जो आपकी जीवन में काफी प्रेरणादायक साबित हो सकती है। 

श्री रामकृष्ण परमहंस देव काली के बहुत बड़े भक्त थे। लोगों का मानना था कि वो एक विष्णु भगवान के अवतार थे। मगर इस बात की पृष्ठी परमहंस योगी ने कभी नहीं की। वो उस समय बंगाल के हिंदू धर्म के पुन्रउद्धार के लिए लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनते जा रहे थे। उनके उपदेशों को शिष्य नरेंद्रनाथ दत्ता जैसे लोगों को बहुत आकर्षित किया। जिन्हें हम स्वामी विवेकानंद के नाम से जानते है।  

रामकृष्ण परमहंस का बचपन
श्री रामकृष्ण परमहंस के बचपन का नाम गदाधर चट्टोपाध्याय था। जब गदाधर को संस्कृत सीखने के लिए गांव भेजा गया। उन्हे इन विषयों में कोई रुचि नहीं थी। वो केवल हिंदू देवी-देवताओं की मिट्टी की मूर्तियां बनाया करते थे। वह अपनी मां से पौराणिक और लोक की कहानियां सुना करते थे। वो रामायण, महाभारत, पौराणिक, और पवित्र साहित्य के बारे में ऋषियों और पुजारियों से सुना करते थे। जवान गदाधर को प्रकृति से लगाव था, इसलिए वो ज्यादातर समय नदी और झरनों के पास बिताते थे।

23 साल की उम्र में की शादी
गदाधर के पिता की मृत्यु के बाद 23 साल के गदाधर की शादी पड़ोसी गांव में पांच वर्षीय सरदामोनी मुखोपाध्याय से हुई। सरदामोनी उनसे तब तक अलग रही जब तक 18 साल की नहीं हो गई थी। इसके बाद दक्षिणेश्वर में अपने पति के साथ जुड़ गई थी। श्री रामकृष्ण परमहंस ने अपनी पत्नी को दिव्य मां के रुप में पहचान दी। वह अपने शिष्यों के सामने मां की भूमिका निभाती थी। परमहंस जी और सरदामोनी ने देवी काली की षोडसी पूजा एक साथ की। जिन्हे सारदा मां के नाम से भी जानते है

गदाधर से जुड़ी आध्यात्मिक बातें
गदाधर आध्यात्मिक रूप से जुड़े हुए थे और कई लोगों ने उन्हें आध्यात्मिक परमानंद के साहित्यों का अनुभव करते देखा था। धार्मिक प्रदर्शनों, नाटकों, और पूजा के दौरान, गदाधर  मंत्रमुग्ध हो जाते थे। तब उसके परिवार और पड़ोसियों को लगा कि वह कोई साधारण बच्चा नहीं है।

शिष्य मानते थे उन्हें विष्णु का अवतार
दक्षिणेश्वर में काली देवी के मंदिर की स्थापना 1855 में की गई थी। रानी रश्मोनी और उनकी प्रजा रामकृष्ण परमहंस को विष्णु का सच्चा अवतार मानती थी। प्रजा में परमहंस का सभी सम्मान करते थे। रामकृष्ण धर्म से परे और दार्शनिक थे। जिनकी शिक्षायें केवल हिंदू धर्म के सिद्धांत के लिए नहीं, बल्कि जीवन के सुधार के लिए हैं। उनके शब्दों जैसे "कई अच्छी बातें पवित्र पुस्तकों में पाई जाती हैं, लेकिन केवल उन्हें पढ़ने से एक धार्मिक नहीं होगा। आध्यात्मिक आत्मा के साथ गूंजती है।

श्री रामकृष्ण परमहंस थे एक क्रांतिकारी
रामकृष्ण का मानना था कि हर पुरुष और महिला पवित्र है। उनका कहना था कि परमात्मा को मोक्ष द्वारा नहीं पाया जा सकता, ईश्वर को अपने सही कार्य के माध्यम से पा सकते है। मनुष्य के प्रति दयालु होना भगवान के प्रति दयालु माना जाता है। भगवान प्रत्येक मनुष्य के अंदर वास करते हैं। उनकी सोच किसी भी प्रकार से भेदभाव की नहीं थी। वह सभी मनुष्यों को एक समान मानते थे।

समाज में क्या थे उनके उपदेश और प्रभाव
रामकृष्ण आध्यात्मिक कथाओं को सबसे स्पष्ट तरीके से समझाने में माहिर थे। उन्होंने इस्लाम और ईसाई धर्म जैसे हिंदू धर्मों के साथ-साथ अन्य धर्मों के सभी पहलुओं का अभ्यास किया। उनका मानना था कि धर्म अलग-अलग रास्ते हैं जो एक ही लक्ष्य तक ले जाते हैं।

स्वामी विवेकानंद  ने उनके महान विचारों की रामकृष्ण मिशन के नाम से स्थापना की। मिशन को एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में स्थापित किया गया था। जो रामकृष्ण आंदोलन व वेदांत आंदोलन के रूप में जाना जाता है। जो विवेकानंद द्वारा बहुत प्रचारित किया गया था।

श्री रामकृष्ण परमहंस देव द्वारा दिए कुछ उपदेश
कभी भी अपने दिमाग पर मत जाओ कि तुम्हारा विश्वास ही सच्चा है और हर दूसरा झूठा है। यह अच्छी तरह से जान लो कि बिना रूप वाला भगवान वास्तविक है। फिर जो भी तुम्हारे प्रति विश्वास प्रकट करता है उसके लिए उपवास रखो। अगर आप भक्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं, इसलिए यह भी प्रार्थना करें कि आप किसी के साथ गलत न करें।

मृत्यु
श्री रामकृष्ण परमहंस की मृत्यु 16 अगस्त, 1886 को गले के कैंसर से पीड़ित हुई। लेकिन उनके विचार आज भी लोगों के अंदर जी रहे है। श्री परमहंस जी को भक्त उनके विचारों से हमेशा याद रखेगें। 

Web Title: ramkrishna paramhans birthday special, history, mission, quotes in hindi

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे