रामनवमी 2018: क्यों मनाते हैं राम नवमी का पर्व, जानें पूजा-विधि व मुहूर्त
By धीरज पाल | Published: March 24, 2018 03:11 PM2018-03-24T15:11:46+5:302018-03-24T15:58:54+5:30
रामनवमी की कहानी लंकापति रावण से शुरू होती है। त्रेतायुग में रावण का प्रकोप पूरे धरती पर था।
हर साल चैत्र मास की नवरात्रि के नौवें दिन 'रामनवमी' का पर्व मनाया जाता है। साल 2018 में रामनवमी का त्योहार 25 मार्च को पड़ रहा है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है। हिन्दू मतानुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने 7वें मानवरूपी अवतार श्रीराम का जन्म हुआ था। यह त्योहार हिंदूओं बेहद ही महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव रामनवमी हर साल चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है।
लेकिन इस बार हिंदू पचांग के मुताबिक अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ रही है। इस त्योहार को देशभर में अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। इस दिन भगवान राम के जन्म की खुशी में जगह-जगह महोत्सवों का आयोजन किया जाता है और भगवान राम की चौकियां और रथयात्रा निकाली जाती है। इस दिन भगवान राम के मंदिरों में सुबह से लेकर शाम तक भगवान राम के जयकारों की गूंज सुनाई पड़ती है। इन दिनों कई लोग उपवास भी रखते हैं।
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रामनवमी का महत्व
रामनवमी का त्योहार पूरे पारंपरिक ढंग से मनाया जाता है। भगवान राम के भक्त रामायण का पाठ करते हैं। मंदिरों को सजाया जाता है, घर में भजन कीर्तन किया जाता है और रामरक्षा स्त्रोत भी पढ़ते हैं। भगवान राम की मूर्ति को फूल-माला से सजाते हैं और स्थापित करते हैं। भगवान राम की मूर्ति को पालने में झुलाते हैं। जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया जाता है। भक्त प्रसाद में पंचामृत, श्री खंड, खीर या हलवा के भोग के बाद लोगों में वितरित करते हैं।
रामनवमी की पूजा विधि और मुहूर्त
ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी के अनुसार 25 मार्च 2018 रविवार को रामनवमी का त्योहार पड़ रहा है। रामनवमी की पूजा मुहूर्त सुबह 11:14 से लेकर दोपहर 13:41 तक रहगा। इस दौरान आप भगवान राम की पूजा कर सकते हैं। नवमी तिथी 25 मार्च 2018 को सुबह 08:02 पर प्रारंभ होकर अगले दिन यानी 26 मार्च 2018 को सुबह 05:54 तक रहेगी।
राम नवमी पूजा विधि
1. इस दिन प्रात:काल में स्नान करके पूजा स्थल पर पूजन सामग्री के साथ बैठें।
2. पूजा में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य होना चाहिए।
3. उसके बाद श्रीराम नवमी की पूजा षोडशोपचार करें।
4. खीर और फल-मूल को प्रसाद के रूप में तैयार करें।
5. पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला सभी लोगों के माथे पर तिलक लगाए।
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जुड़ी है पौराणिक मान्यता
पौराणिक कथा के मुताबिक भगवान श्रीराम अयोध्या के नरेश दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे। रामनवमी की कहानी लंकापति रावण से शुरू होती है। त्रेता युग में रावण का प्रकोप पूरे धरती पर था। उसके अत्याचारों से चारों ओर त्राहि-त्राहि मचा था। रावण इतना अत्याचार इसलिए बना था कि उसे अमरत्व का वरदान था। यानी उसे कोई मार नहीं सकता था।
उसके अत्याचार से तंग होकर देवतागण भगवान विष्णु के पास गए और प्रार्थना करने लगे। फलस्वरूप प्रतापी राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान विष्णु ने राम के रूप में रावण को परास्त करने हेतु जन्म लिया। तब से चैत्र की नवमी तिथि को रामनवमी के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। ऐसा भी कहा जाता है कि नवमी के दिन ही स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी।