रामनवमी विशेष: कौन थी भगवान श्रीराम की बहन, जुड़ी है ये पौराणिक कथा
By धीरज पाल | Published: March 25, 2018 10:28 AM2018-03-25T10:28:46+5:302018-03-25T10:34:35+5:30
पौराणिक कथा के मुताबिक जब दशरथ को पहली पुत्री शांता हुई तो अयोध्या में भीषण अकाल पड़ा।
आज 25 मार्च को देशभर में रामनवमी की धूम दिखाई दे रही है। रामनवमी भगवान राम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। चारों ओर राम के नारे लग रहे हैं, चौकियां निकल रही है, जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, सुबह से मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही। इस दिन लोग भगवान राम के लिए उपवास रखते हैं। एक तरफ जहां भगवनाीी राम के लिए लोग उपवास रख रहे हैं वहीं दूसरी ओर आज नवरात्रि का आखिरी दिन है। राम नवमी के उपलक्ष्य में आज हम आपको राम से जुड़ी एक पौराणिक कथा सुनाने जा रहे हैं।जिसके बारे में कम ही लोग जानते है। आज हम आपको भगवान श्री राम की बहन के बारे में कथा सुनाने वाले हैं।
जब कभी रामायण की चर्चा होती है तो सबसे पहले श्री राम, लक्ष्मण और सीता का ध्यान जेहन में पहले आता है, लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि भगवान राम की एक बहन भी थीं। उनकी ये बहन चारों भाईयों में से सबसे बड़ी थीं। रामायण की कहानियों में इनका जिक्र न के बराबर होता है, लेकिन देश में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान श्रीराम की बहन 'शांता' की पूजा होती है। 'शृंग ऋषि मंदिर' उत्तरी भारत के हिमाचल प्रदेश के कुल्लु शहर में स्थित है।
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शांता देवी का मंदिर कुल्लू शहर से करीब 50 किमी की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में देवी शांता के अलावा उनके पति शृंग ऋषि भी विराजमान हैं। मंदिर एकदम शांत जगह पर स्थित है। यहां चिड़ियों की चहचहाट और प्रकृतिक सौंदर्य आपको मंत्रमुग्ध कर देगी।
कैसे हुई थी देवी शांता की शादी
पौराणिक कथा के मुताबिक जब दशरथ को पहली पुत्री शांता हुई तो अयोध्या में भीषण अकाल पड़ा। इस बात को लेकर राजा दशरथ को बहुत चिंता हुई। जब राजा ने अकाल का कारण जानना चाहा तो उनके पुरोहितों ने बताया कि यह आकाल उनकी पुत्री के कारण पड़ा है। साथ ही पुरोहितों ने सलाह दी कि इस पुत्री का त्याग किए बिना कल्याण संभव नहीं है। दशरथ ने पुरोहितों की बात मानकर शांता को अपने एक निःसंतान मित्र और अंग के राजा रोमपद को दान कर दिया। रोमपद की पत्नी वर्षिणी कौशल्या की बहन थी। रोमपद ने श्रृंगी ऋषि द्वारा अंग राज्य में आयोजित एक सफल यज्ञ से खुश होकर उनके साथ शांता का ब्याह कर दिया।
शृंग ऋषि से जूड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक शृंग ऋषि ऋष्यशृंग विभण्डक के पुत्र थे। ऋष्यशृंग ने ही बाद में राजा दशरथ की पुत्र कामना के लिए पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाया था। जिस स्थान पर उन्होंने यज्ञ किया था, वह जगह अयोध्या से करीब 39 किमी पूर्व में थी और वहां आज भी उनका आश्रम है।
मंदिर में धूम-धाम से मनाया जाता है महोत्सव
इस मंदिर में भगवान श्रीराम से जुड़े सभी उत्सव जैसे राम जन्मोत्सव, दशहरा आदि बड़ी ही धूम-धाम से मनाए जाते हैं। यहां मान्यता प्रचलित है कि देवी शांता और उनके पति की पूजा करने से भक्तों पर भगवान श्रीराम की विशेष कृपा मिलती है।