Raksha Bandhan: इस गांव में 300 साल से नहीं मनाया गया है रक्षाबंधन का त्योहार, हैरान करने वाली है वजह

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 15, 2019 11:28 AM2019-08-15T11:28:53+5:302019-08-15T11:28:53+5:30

Raksha Bandhan 2019: क्या आपको मालूम है कि उत्तर प्रदेश में एक गांव ऐसा भी है जहां रक्षबंधन का त्योहार करीब 300 साल से नहीं मनाया गया है। इसके पीछे भी जो वजह है वह बेहद अजीब और हैरान करने वाली है।

Raksha Bandhan 2019 rakhi bandhan festival not celebrated in this village from 300 years | Raksha Bandhan: इस गांव में 300 साल से नहीं मनाया गया है रक्षाबंधन का त्योहार, हैरान करने वाली है वजह

यूपी के इस गांव में नहीं मनाते हैं रक्षा बंधन का त्योहार

Highlightsरक्षा बंधन आज, पूरे देश में मनाया जा रहा है राखी का त्योहारसावन के आखिरी दिन पूर्णिमा को मनाया जाता है रक्षा बंधन का त्योहार

Raksha Bandhan 2019:सावन के आखिरी दिन यानी पूर्णिमा के मौके पर रक्षा बंधन का त्योहार देश भर में आज धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन परंपरा के अनुसार बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। यही नही, भाई अपनी बहन को प्रेम स्वरूप उपहार आदि भी देता है। हालांकि, क्या आपको मालूम है कि उत्तर प्रदेश में एक गांव ऐसा भी है जहां रक्षबंधन का त्योहार करीब 300 साल से नहीं मनाया गया है। इसके पीछे भी जो वजह है वह बेहद अजीब और हैरान करने वाली है।

Raksha Bandhan 2019: यूपी के इस गांव में नहीं मनाते राखी का त्योहार!

यह कहानी उत्तर प्रदेश के संभव के गांव बैनीपुर चक की है। दरअसल, इस गांव के लोग कहीं और से आकर बसे हैं। इसकी वजह भी राखी का त्योहार ही है। ये यादव जाति में मेहर गौत्र के लोग हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि ये पहले जनपद अलीगढ़ की तहसील अतरौला के गांव सेमरई में रहते थे। इस गांव में यादव और ठाकुर जाति के लोग बड़ी संख्या में रहते थे। जमींदारी पर तब इस गांव में यादव परिवार का दबदबा था। दोनों जातियो में भी घनिष्ठता था इसलिए कभी कोई संघर्ष नहीं हुआ। उस समय गांव में रक्षा बंधन का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता था।

Raksha Bandhan 2019: ऐसे टूटी रक्षा बंधन मनाने की परंपरा

ऐसा कहते हैं कि एक बार ठाकुर परिवार ने अपने बेटे को यादव परिवार की बेटी से राखी बंधवाई। यादव परिवार की बेटी ने उपहार में भैंस मांगी जो दे दी गई। ऐसे ही यादव परिवार के बेटे को ठाकुर परिवार की बेटी ने राखी बांधी तो उसने पहले वचन मांग लिया। यादव परिवार ने ऐसे में सोचा कि उपहार में कोई सामान मांग लिया जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ। ठाकुर की बेटी ने यादव परिवार से गांव की जमींदारी छोड़ने के साथ और भी सबकुछ मांग लिया। ऐसे में यादव परिवार ने जमींदारी छोड़ने का फैसला किया और गांव भी छोड़ दिया। इसके बाद यादव कुल के ये लोग संभल के गांव बैनीपुर चक में आकर बस गये।

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