Radha Ashtami 2020: श्रीकृष्ण की अराधिता श्रीराधा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 26, 2020 11:30 AM2020-08-26T11:30:50+5:302020-08-26T11:30:50+5:30
हिन्दी पंचांग के अनुसार, आज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि और बुधवार दिन है। आज श्रीकृष्ण प्रिया राधा जी का जन्मदिन है। इसे राधा अष्टमी या राधा जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है।
कबिरा धारा अगम की मो पै कही न जाये!
उल्टा कर जपिये सदा स्वामी संग लगाय!!
श्रीराधा प्रेम का चर्मोत्कर्ष भाव है, जिसके प्रेम की प्रेरणा ब्रज के गोपाल को कर्मयोग के पथ पर अग्रसर कर दुनिया के समक्ष श्रीकृष्ण के रूप में स्थापित करती हैं! प्रेम के रूहानी महाभाव की धारा ही राधा तत्व है! प्रेम के इस महाभाव को कोई सुपात्र योगी ही साध सकता है! इसलिए श्रीकृष्ण को योगयोगेश्वर भी कहा गया है!
प्रेम के राधा रूपी महाभाव को साधारण मनुष्य नहीं से साध सकता! क्योंकि इस महाभाव की कसौटी वियोग है! प्रेम में वियोग को सामान्य व्यक्ति नहीं साध पाता है! न वो मुस्करा सकता और नहीं एकाग्रचित्त होकर कर्मयोग में रत रह सकता!
श्रीकृष्ण राधा के प्रेम उपासक बन वियोग के साथ मुस्कराते हुए राधा की प्रेम प्रेरणा की शक्ति से अभिभूत हो निष्काम भाव से कर्मयोग में ताजिंदगी रत रहते हैं!
यही कारण है कि राधा तत्व को लेकर श्रीमद्भागवत भी मौन है! कहा जाता है कि राधतत्व की व्याख्या को लेकर स्वयं सुकदेव जी मौन हो जाते हैं! राजा परीक्षित को भागवत सुनाते समय जैसे ही राधातत्व को लेकर कुछ कहने की चेष्टा करते हैं, तो 'रा' के उच्चारण के साथ ही उनको समाधि लग जाती थी! भागवत विद्वानों की मान्यता है कि श्रीमद्भागवत में राधा तत्व गोपनीय है! गोपनीयं से ही गोपी शब्द का संबंध है!
शायरों ने भी इश्क़ को इबादत, ध्यान, समाधि जैसी योग की उद्दात अवस्थाओं से अपनी शायरी में परिभाषित किया है!
'बुतखाना तोड़ डालिए, मस्जिद को ढाइए
दिल को न तोड़िए, ये खुदा का मुकाम है!' -ख्वाजा हैदर अली आतिश!
'तेरे बग़ैर इश्क़ हो तो कैसे हो
इबादत के लिए ख़ुदा भी तो ज़रूरी होता है!'
कवि औऱ शायरों के इश्क़ की इबादत से जुड़े रूहानी भाव को समझे तो यही स्थिति श्रीकृष्ण के लिए श्रीराधा को लेकर है! बस फर्क इतना है कि राधाकृष्ण के प्रेम का समूचा आख्यान धार्मिक दृष्टि से अलौकि है! सच तो यह है कि रूहानी प्रेम में डूबे शख्स के लिए दुनिया का भौतिक सुख और साधन तुच्छ हो जाते हैं, वह प्रेम की अनुभूति के स्तर पर होता है, उसे समझना सांसारिक प्रपंचों में जीने वाले व्यक्ति के लिए समझना सम्भव नहीं होता!
प्रेम से जुड़ी यह भाव स्थिति स्थापित मान्यताओं के खिलाफ बागी बनाती है! श्रीकृष्ण अपने सम्पूर्ण विचार और कर्म से बागी हैं! श्रीराधा की प्रेम प्रेरणा श्रीकृष्ण को नारी सशक्तिकरण का ध्वजवाहक बनाती है, जिसकी चरम परिणिति द्रोपदी के अपमान के बदले में महाभारत के रूप में देखने को मिलती है!
प्रेम ही ऐसा चेतन विचार तत्व है जो हंस की भांति नीर क्षीर विवेक होता है! कृष्ण की तिरछी मुस्कान का कारण नीर क्षीर विवेक ही है! वह सामने वाले के सत्य औऱ असत्य से भलि भांति परिचित होने की तस्दीक करते हुए यही संदेश देते हैं कि ' हमें सब कुछ ख़बर है, नसीहत न दीजिए हम क्या होंगे खराब, जमाना खराब है!
राधा श्रीकृष्ण की अराधिता हैं! उनकी प्राणाल्हादिनी शक्ति हैं, प्राण मंजूषा हैं! श्रीराधा की प्रेम प्रेम प्रेरणा श्रीकृष्ण के निष्काम कर्मयोग की ऊर्जा का अक्षय स्रोत है! राधा ब्रज की अलबेली सरकार हैं और श्रीकृष्ण उनके कार्यकारी हैं!