Pitru Paksha 2019: यहां ट्रेन में मृत लोगों के लिए बुक की जाती है सीट, सोती हुई आत्माएं करती हैं सफर!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 18, 2019 01:47 PM2019-09-18T13:47:42+5:302019-09-18T15:21:04+5:30

Pitru Paksha: पिंडदान के लिए गया आने तक पूरे रास्ते में पितृदंड को रिजर्व सीट पर लेटाकर रखा जाता है। इस दौरान ट्रेन में सवार परिजन उनकी देखरेख करते रहते हैं। सदस्य 2 से 3 घंटे का पहरा देते हैं

Pitru Paksha 2019 train ticket gets booked on the name of dead relatives for pindaan and shradh in Gaya | Pitru Paksha 2019: यहां ट्रेन में मृत लोगों के लिए बुक की जाती है सीट, सोती हुई आत्माएं करती हैं सफर!

पिंडदान के लिए मृत पूर्वजों को साथ लाया जाता है गया! (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Pitru Paksha 2019: अभी पितृपक्ष का समय चल रहा है। भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू हुआ पितृपक्ष अश्विन मास की अमावस्या तिथि तक जारी रहेगा। इस दौरान पितरों को पूजने, पिंडदान और उनके श्राद्ध का बहुत महत्व है। मान्यता है कि इन दिनों में पूर्वज धरती पर आते हैं। ऐसे में उनके नाम से दान आदि करना चाहिए और ब्राह्मण और गरीबों को भोजन कराया जाना चाहिए।

पितरों के तर्पण और पिंडदान के लिए दूर-दूर से लोग बिहार के 'गयाजी' भी पहुंचते हैं। यही आने के दौरान आपको रेलवे में मृत लोगों के लिए सीट रिजर्व करने की परंपरा नजर आ जाएगी।

पितरों के नाम से बुक की जाती है सीट

गया आने वाले कई श्रद्धालु पिंडदान के लिए पितरों के नाम से सीट बुक कराते हैं और फिर वहां पहुंचकर उनका तर्पण और श्राद्ध आदि करते हैं। रिजर्व बर्थ पर पितरों के रूप में 'नारियल और बांस' से बने एक दंडे को सुलाते हैं। इस पितृदंड कहा जाता है। इसमें एक कपड़ा भी बंधा होता है जिसमें पूर्वजों से जुड़ी चीजें गांठ के रूप में बांध दी जाती हैं। 

पूरी यात्रा के दौरान उनका यानी पितृदंड का खास ख्याल भी रखा जाता है। ट्रेन में जब टीटी टिकट चेक करने आते हैं तो उन्हें भी बुक किया हुआ टिकट दिखाया जाता है। 

पूरे रास्ते में परिजन करते हैं पितरों की रखवाली

गया आने तक पूरे रास्ते में पितृदंड को रिजर्व सीट पर लेटाकर रखा जाता है। इस दौरान ट्रेन में सवार परिजन उनकी देखरेख करते रहते हैं। सदस्य 2 से 3 घंटे का पहरा देते हैं और इसका विशेष ख्याल रखते हैं कहीं किसी से उन्हें ठोकर नहीं लग जाए या कोई उस पितृदंड से छेड़खानी नहीं करे। इसके बाद इन्हें गया लकर पूरी विधि से पिंडदान किया जाता है। 

पितरों को गया लाने से पहले भी कुछ खास रिवाज हैं जिनको किया जाता है। मसलन, पितृदंड लाने से पहले श्रद्धालु 7 दिनों का भगवदगीता पाठ कराते हैं। इसके बाद सबसे पहले पितृदंड और फिर साथ आने वाले बाकी सदस्यों का ट्रेन में रिजर्वेशन कराया जाता है।

English summary :
Pitrupaksha, which started from the full moon of Bhadrapada month, will continue till the new moon day of Ashwin month. During this time, worshiping the ancestors, Pindadan and their Shraddha are very important.


Web Title: Pitru Paksha 2019 train ticket gets booked on the name of dead relatives for pindaan and shradh in Gaya

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