पितृपक्ष 2021: श्राद्ध के भोज के 10 जरूरी नियम, जानें क्यों नहीं कराना चाहिए केले के पत्ते पर भोजन
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 16, 2021 07:55 PM2021-09-16T19:55:55+5:302021-09-16T19:56:21+5:30
Pitru Paksha: मान्यताओं के अनुसार जो लोग पितृपक्ष में दान और श्राद्ध आदि नहीं करते, उनके पितर भूखे-प्यास ही धरती से लौट जाते हैं और परिवार को पितृदोष लगता है।
Pitru Paksha 2021: पितृपक्ष के 16 दिनों का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। मान्यता है कि इन दिनों में पूर्वज धरती पर आते हैं। ऐसे में उनके नाम से दान आदि करना चाहिए और ब्राह्मण और गरीबों को भोजन कराया जाना चाहिए।
इस बार पितृपक्ष की शुरुआत इस साल 20 सितंबर (सोमवार) से हो रही है। ये भद्रपद की शु्क्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि होगी और हर साल इसी तिथि से पितृपक्ष की शुरुआत होती है। वहीं, आश्विन महीने की अमावस्या यानी 6 अक्टूबर को पितृपक्ष खत्म हो जाएगा।
मान्यताओं के अनुसार जो लोग पितृपक्ष में दान और श्राद्ध आदि नहीं करते, उनके पितर भूखे-प्यास ही धरती से लौट जाते हैं और परिवार को पितृदोष लगता है। श्राद्ध और तर्पण में श्रद्दा और शुद्धता का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। खासकर भोजन कराने से जुड़े कुछ ऐसे नियम हैं जिनका विशेष ध्यान रखना चाहिए। आईए, जानते हैं इन नियमों के बारे में....
1. श्राद्ध के बाद सोने, चांदी, कांसे और तांबे के बर्तन पर ही ब्राह्मण को भोज कराना अच्छा माना जाता है। श्राद्ध और तर्पण में लोहे और स्टील के बर्तन का इस्तेमाल नहीं करें।
2. ऐसी मान्यता है कि चांदी के बर्तन में भोजन कराने से पुण्य प्राप्त होता है। पितर भी तृप्त होते हैं।
3. एक और अहम बात जरूरी है। श्राद्ध के बाद जब भी ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं तो इस बात का ध्यान रखें उसे केले के पत्ते पर नहीं परोसें। मान्यता है कि इससे पितरों को तृप्ति नहीं मिलती है।
4. श्राद्ध पर भोजन के लिए ब्राह्मणों को दक्षिण दिशा में बैठाएं। ऐसी मान्यता है कि दक्षिण में पितरों का वास होता है।
5. ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद उन्हें कपड़े, अनाज, दक्षिणा आदि दें और उनका आशीर्वाद लें।
6. इसका भी ध्यान रखें कि गाय, चींटी, कुत्ते, कौए और देवता को भोजन कराने के बाद ही ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। बगैर ब्राह्मण भोज के पितर भी भोजन नहीं लेते हैं।
7. भोज और दान-दक्षिणा देने के बाद ब्राह्मणों को उन्हें छोड़ने द्वार तक जाएं। मान्यता है कि ब्राह्मणों के साथ पितरों की भी विदाई होती है।
8. ब्राह्मणों के भोजन के बाद ही स्वयं और अपने रिश्तेदारों को भोजन कराएं।
9. बहन, दामाद और भांजे को भी भोजन अवश्य कराएं। उनके भोजन के बिना पितर प्रसन्न नहीं होते हैं।
10. कुत्ते और कौए का भोजन, कुत्ते और कौए को ही खिलाया जाए। देवताओं और चींटी के नाम पर निकाले भोजन को गाय को खिलाया जा सकता है।