Falgun Purnima 2022: फाल्गुन पूर्णिमा कब है? जानें तिथि, महत्व और होलिका दहन से संबंध
By रुस्तम राणा | Published: March 12, 2022 02:02 PM2022-03-12T14:02:35+5:302022-03-12T14:02:35+5:30
फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन की परंपरा होती है और इस बार फाल्गुन पूर्णिमा 17 मार्च को है, जबकि रंगों का त्योहार होली 18 मार्च को मनाई जाएगी।
Phalguna Purnima 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार यह फाल्गुन मास चल रहा है और इस महीने आने वाली पूर्णिमा को फाल्गुन पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान-दान कर पुण्य प्राप्त किया जाता है। पूर्णिमा की रात्रि चंद्रमा और धन-वैभव की देवी माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन की परंपरा होती है और इस बार फाल्गुन पूर्णिमा 17 मार्च को है, जबकि रंगों का त्योहार होली 18 मार्च को मनाई जाएगी।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 17 मार्च दिन गुरुवार को दोपहर के समय 01:29 बजे से लग ही है, जो कि अगले दिन 18 मार्च को दिन शुक्रवार को दोपहर 12:47 बजे तक रहेगी। होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त रात 9 बजकर 06 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। मुहूर्त की कुल अवधि 1 घंटा 10 मिनट रहेगी।
होलिका दहन की विधि
होलिका दहन के लिए लकड़ी, कंडे या उपले एक जह एकत्रित करें। इन सारी चीजों को शुभ मुहूर्त में जलाएं। इसमें छेद वाले गोबर के उपले, गेंहू की नई बालियां और उबटन डालें। ऐसी मान्यता है कि इससे साल भर व्यक्ति को आरोग्य कि प्राप्ति हो और सारी नकारात्मक शक्तियां इस अग्नि में भस्म हो जाती हैं। होलिका दहन पर लकड़ी की राख को घर में लाकर उससे तिलक करने की परंपरा भी है।
होलिका दहन से संबंध
पौराणिक कथा के अनुसार, असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी। बालक प्रह्लाद को भगवान की भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती। भक्त प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका फाल्गुन पूर्णिमा तिथि को भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर चिता में बैठ गयीं, चिता में आग लगाई गई, लेकिन प्रह्लाद अपनी भक्ति की शक्ति के कारण नहीं जले, खुद होलिका ही आग में जल गई।