वर्षों बाद मंगलवार को आई फाल्गुन अमावस्या, तिथि समाप्त होने से पहले कर लें ये एक उपाय, पाएंगे ढेरों खुशियां

By गुलनीत कौर | Published: March 5, 2019 11:25 AM2019-03-05T11:25:45+5:302019-03-05T11:25:45+5:30

5 मार्च की शाम 7 बजकर 8 मिनट से फाल्गुन महीने की 'फाल्गुन अमावस्या' तिथि प्रारंभ हो जाएगी जो कि अगले दिन 6 मार्च की रात 9 बजकर 35 मिनट तक चलेगी। 

Phalguna Amavasya 2019 date, time, significance, vrat, puja muhurat, things to do on phalguna amavasya | वर्षों बाद मंगलवार को आई फाल्गुन अमावस्या, तिथि समाप्त होने से पहले कर लें ये एक उपाय, पाएंगे ढेरों खुशियां

वर्षों बाद मंगलवार को आई फाल्गुन अमावस्या, तिथि समाप्त होने से पहले कर लें ये एक उपाय, पाएंगे ढेरों खुशियां

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा एवं अमावस्या तिथि का बेहद महत्व होता है। यूं तो साल में 12 पूर्णिमा और 12 ही अमावस्या तिथियां आती हैं, लेकिन इनमें से कुछ बेहद खास होती हैं। 6 मार्च को फागुन अमावस्या है। इसे कई जगहों पर फाल्गुन अमावस्या भी कहा जाता है। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन महीने की यह अमावस्या तिथि 5 मार्च की शाम 7 बजकर 8 मिनट से प्रारंभ हो जाएगी जो कि अगले दिन 6 मार्च की रात 9 बजकर 35 मिनट तक चलेगी। 

वर्ष भर आने वाली समस्त अमावस्या में से फागुन अमावस्या बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसे पितरों का तर्पण करने वाली अमावस्या कहा जाता है। इस साल की अमावस्या को खास माजना जा रहा है। यह सोमवार की शाम से शुरू होकर मंगलवार की रात तक चलेगी। ज्योतिष शास्त्र की राय में सोमवार, मंगलवार, गुरूवार, शनिवार की अमावस्या का मनुष्य की जिंदगी पर सूर्य ग्रहण से भी अधिक सकारात्मक प्रभाव होता है।

फाल्गुन अमावस्या का लाभ पाने के लिए 6 मार्च को करें ये काम:

- सुबह जल्दी उठाकर घर के पास किसी भी पवित्र नदी में स्नान करें
-  यदि पास में पवित्र नदी ना हो तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें
- नहाने के बाद पूजा करें और यदि व्रत करना चाहें तो वह भी कर सकते हैं
- शाम के समय पीपल के पेड़ की जड़ों के पास सरसों के तेल का दीया जलाकर आएं
- दीया जलाने के बाद पेड़ की परिक्रमा करें और पूर्वजों की आत्मा की शांति की दुआ करें
- इसके बाद गरीबों में ऊनी वस्त्र, कम्बल, खाने की जरूरी चीजें दान करें
- अमावस्या के दिन भगवान शिव की अराधना करना भी फलदायी माना जाता है
- शिव मंदिर जाएं, शिवलिंग पर जल या दूध से अभिषेक करें। शिवलिंग पर दही या मक्खन भी लगाएं
- यदि शनि अमावस्या है तो शनि मंदिर जाएं। शनिदेव को नीलें रंग के फूल अर्पित करें
- काले तिल, काली उड़द की दाल, सारसों तेल, काला कपड़ा आदि वस्तुओं शनि मंदिर में चढ़ावे के रूप में दें

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