Parivartini Ekadashi 2022 Date: परिवर्तनी एकादशी कब है, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व
By रुस्तम राणा | Published: September 4, 2022 02:20 PM2022-09-04T14:20:02+5:302022-09-04T14:20:02+5:30
हर साल हिन्दू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन परिवर्तनी एकादशी व्रत रखा जाता है। इस साल 6 सितंबर मंगलवार को परिवर्तनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
Parivartini Ekadashi 2022 Date and Shubh Muhurat Timing: परिवर्तनी एकादशी व्रत हिन्दू धर्म का प्रमुख एकादशी व्रत है। यह व्रत हर साल हिन्दू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस साल 6 सितंबर मंगलवार को परिवर्तनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु जी निद्रासन में रहते हुए अपनी करवट बदलते हैं, जो एक तरह का परिवर्तन होता है। इसी कारण से इसे परिवर्तनी एकादशी कहा जाता है। आइए जानते हैं परिवर्तनी एकादशी का शुभ मुहूर्त एवं व्रत विधि क्या है।
परिवर्तनी एकादशी का शुभ मुहूर्त 2022
एकादशी तिथि प्रारंभ - 06 सितंबर मगंलवार को सुबह 05 बजकर 54 मिनट पर
एकादशी तिथि का समापन - 07 सितंबर को सुबह 03 बजकर 04 मिनट पर
व्रत पारण का समय - 07 सितंबर को सुबह 08 बजकर 33 मिनट से किया जाएगा।
परिवर्तनी एकादशी पर बन रहे हैं ये शुभ योग
इस दिन सुबह 08 बजकर 16 मिनट तक आयुष्मान योग, सुबह 08 बजकर 16 मिनट से अगले दिन सुबह 04 बजे तक सौभाग्य योग, 06 सितंबर की सुबह 06 बजकर 08 मिनट से शाम 06 बजकर 09 मिनट तक रवि योग और 07 सितंबर की सुबह 03 बजकर 04 मिनट से 06 बजकर 09 मिनट तक त्रिपुष्कर योग बन रहा है। ऐसे में इन चार शुभ मुहूर्त में विष्णु जी की आराधना करना अत्यंत लाभकारी रहने वाला है।
परिवर्तनी एकादशी व्रत विधि
परिवर्तन एकादशी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठें, साफ-सफाई कर स्नान ध्यान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। अब भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाएं। फलों एवं फूलों से विष्णुजी की भक्तिपूर्वक पूजा करें। पूजा के बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। दिन में निराहार व्रत का पालन करें। इस व्रत में रात्रि जागरण करें। द्वादशी तिथि के दिन प्रातः ब्राह्मण को भोजन कराएं व दान-दक्षिणा दें।
परिवर्तनी एकादशी महत्व
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, एकादशी का व्रत भगवान विष्णु जी को समर्पित है। भादो शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली परिवर्तनी एकादशी के दिन जगत के पालनहार विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। मान्यता है कि परिवर्तनी एकादशी के भगवान विष्णु जी के वामन अवतार की पूजा करने मात्र से व्रती को वाजपेय यज्ञ के समान फल मिलता है। साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से ब्रह्मा-विष्णु सहित तीनों लोकों के देवता के पूजन का फल मिलता है।