Nirjala Ekadashi 2022 Date: निर्जला एकादशी कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व
By रुस्तम राणा | Published: June 4, 2022 03:39 PM2022-06-04T15:39:20+5:302022-06-07T15:52:52+5:30
इस साल 10 जून को निर्जला एकादशी व्रत रखा जाएगा। ऐसी भी मान्यता है कि इसे महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने किया था। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं।
Nirjala Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत जगत के पालनहार भगवान विष्णु के लिए रखा जाता है। हर माह में दो बार एकादशी व्रत किया जाता है। यह ज्येष्ठ माह चल रहा है और हर वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि इसे महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने किया था। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस साल 10 जून को निर्जला एकादशी व्रत रखा जाएगा।
निर्जला एकादशी मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ - 10 जून को सुबह 7 बजकर 25 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त - 11 जून को सुबह 5 बजकर 45 मिनट पर
पारण मुहूर्त - 11 जून सुबह 5 बजकर 49 मिनट' से 8 बजकर 29 मिनट तक
निर्जला एकादशी की पूजा विधि
व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
स्नान के बाद भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प करें।
विष्णुजी को पीले फल, पीले फूल, पीले पकवान आदि का भोग लगाएं।
दीप जलाएं और आरती करें।
पूजा के दौरान- 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का भी जाप करें।
किसी गौशाला में धन या फिर प्याऊ में मटकी आदि या पानी का दान करें।
शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं और उनकी भी पूजा करें।
अगले दिन सुबह उठकर और स्नान करने के बाद एक बार फिर भगवान विष्णु की पूजा करें।
साथ ही गरीब, जरूरतमंद या फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
इसके बाद ही खुद भोजन ग्रहण करें।
निर्जला एकादशी व्रत के दौरान किन बातों का रखें ध्यान
निर्जला एकादशी व्रत करने वालों को साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए आपको एक दिन पहले से ही तैयारी शुरू करनी चाहिए। एक दिन पहले से ही आप सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का भी पालन अनिवार्य रूप से करें।
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
धार्मिक रूप से माना जाता है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को सभी एकादशी व्रतों का पुण्य प्राप्त होता है और व्रत रखने वालों की समस्त प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं। हालांकि यह कठिन व्रतों में से एक है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि साल भर की सभी एकादशियों का फल केवल एक दिन के इस एकादशी व्रत को करने से मिलता है।