निर्जला एकादशी 2020: निर्जला एकादशी कल, करें इस 1 चीज का दान- मिलेगा अखण्य सौभाग्य का वरदान
By मेघना वर्मा | Published: June 1, 2020 10:17 AM2020-06-01T10:17:17+5:302020-06-01T10:17:17+5:30
हिन्दू धर्म में एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण बताया जाता है। वहीं ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं।
कल यानी 2 जून को निर्जला एकादशी मनाई जाएगी। भगवान विष्णु को प्रिय इस एकादशी को सभी एकादशी से ज्यादा महत्वपूर्ण बताया जाता है। मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखकर सभी 24 एकादशियों का फल प्राप्त किया जा सकता है।
हिन्दू धर्म में एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण बताया जाता है। वहीं ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। जिसे कुछ महत्वपूर्ण एकादशी में गिना जाता है। मान्यताओं के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत ऐसा है जिसे करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं। ऐसी भी मान्यता है कि इसे महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने किया था। इसलिए इसे भीम एकादशी भी कहते हैं।
Nirjala Ekadashi 2020: निर्जला एकादशी व्रत कब है
निर्जला व्रत इस साल 2 जून को पड़ रही है। इस व्रत को हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार एक साल में कुल 24 एकादशियां पड़ती हैं। सभी एकादशियों में भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है लेकिन निर्जला एकादशी करने से सभी एकादशियों का फल साधक को मिलता है।
निर्जला एकादशी तिथि - 2 जून 2020
एकादशी तिथि प्रारम्भ - 1 जून दोपहर 2 बजकर 57 मिनट पर
एकादशी तिथि समाप्त - 2 जून को दोपहर 12 बजकर 4 मिनट पर
करें इस एक चीज का दान
ज्येष्ठ माह में पानी का दान सबसे शुभ माना जाता है। इसका कारण ये है कि इस माह में गर्मी अत्यधिक पड़ती है। इसलिए कभी भी किसी को अपने घर से बिना पानी पिलाए नहीं लौटाना चाहिए। साथ ही निर्जला एकादशी के दिन पानी से भरा घड़ा या सुराही दान में जरूर देना चाहिए। जिन लोगों ने व्रत रखा है वे चाहें तो ब्राह्मण को भोजन करवाकर जल से भरा कलश, फल, शक्कर, अनाज, वस्त्र, जूता, छतरी, पंखा आदि दान करें और फिर व्रत तोड़े।
निर्जला एकादशी की पूजा विधि
1. व्रत के दिन तड़के उठकर स्नान करें
2. स्नान के बाद भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प करें।
3. भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। ऐसे में उन्हें पीले फल, पीले फूल, पीले पकवान आदि का भोग लगाएं।
4. दीप जलाएं और आरती करें।
5. आप इस दौरान- 'ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का भी जाप करें।
6. किसी गौशाला में धन या फिर प्याऊ में मटकी आदि या पानी का दान करें।
7. शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं और उनकी भी पूजा करें।
8. व्रत के बाद अगले दिन सुबह उठकर और स्नान करने के बाद एक बार फिर भगवान विष्णु की पूजा करें।
9. साथ ही गरीब, जरूरतमंद या फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
10. इसके बाद ही खुद भोजन ग्रहण करें।