Navratri Special: 24 हजार बार करें इस महामंत्र का जाप, होगा चमत्कारी फायदा
By गुणातीत ओझा | Published: October 21, 2020 11:55 AM2020-10-21T11:55:42+5:302020-10-21T12:09:17+5:30
शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 25 अक्टूबर तक चलने वाले हैं। 25 अक्टूबर को विजयदशमी के साथ शरद नवरात्रि की समाप्ति होगी।
Navratri 2020: शारदीय नवरात्रि 17 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 25 अक्टूबर तक चलने वाले हैं। 25 अक्टूबर को विजयदशमी के साथ शरद नवरात्रि की समाप्ति होगी। नवरात्रि में नवदुर्गा के नौ रूपों की पूजा, उनके नाम का व्रत करने और कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। लेकिन इसके अलावा भी भक्त विभिन्न मंत्रों एवं पाठ के माध्यम से दुर्गा को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
इस नवरात्रि यदि आप भी मां दुर्गा की कृपा पाना चाहते हैं, उन्हें प्रसन्न करके अपना जीवन सफल बनाना चाहते हैं तो आप गायत्री मंत्र साधना अवश्य करें। इस साधना को 'लघु अनुष्ठान' के नाम से जाना जाता है। आइए आपको बताते हैं लघु अनुष्ठान के जप की विधि और नियम भी।
लघु अनुष्ठान क्या है
लघु अनुष्ठान में गायत्री मंत्र का नवरात्रि के लगातार नौ दिनों तक जप किया जाता है। इस मंत्र का 24 हजार बार जप किया जाना अनिवार्य माना जाता है। इसी से यह साधना पूर्ण होती है। मान्यता है कि यदि कोई साधक यह लघु अनुष्ठान सम्पूर्ण कर ले तो उसके आसपास देवी दुर्गा एक रक्षा कवच बना लेती हैं जो ताउम्र उसकी बुरी शक्तियों एवं शत्रुओं से रक्षा करता है।
लघु अनुष्ठान जप विधि एवं नियम
- लघु अनुष्ठान साधना करने के लिए साधक सबसे पहले तुलसी माला लेकर आए। इसी माला के प्रयोग से यह जप सफल माना जाता है
- लघु अनुष्ठान साधना में यदि नौ दिनों के भीतर गायत्री मंत्र का 24000 बार जप सम्पूर्ण करना हो तो रोजाना 27 माला जप किया जाना चाहिए, तभी यह साधना पूरी हो पाती है
- रोजाना 27 माला जप करने के लिए साधक को कम से कम 3 घंटे बैठकर जप करने की जरूरत होती है
- लघु अनुष्ठान साधना के लिए सुबह जल्दी उठाना होता है
- सुबह 4 बजे से 8 बजे तक का समाया इस साधना के लिए उत्तम माना गया है
- लघु अनुष्ठान साधना को दिन में दो भागों में बांटा जा सकता है, इसी में 27 माला सम्पूर्ण कर लेनी चाहिए
- जो भी साधक लघु अनुष्ठान साधना करे उसे नौ दिनों तक पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए
- कोमल एवं आरामदायक बिस्तर का त्याग कर सख्त शैय्या पर सोना चाहिए
- लघु अनुष्ठान करने वाले साधक को चमड़े की वस्तुओं का भी त्याग करना चाहिए