नवरात्रि का नौवां दिन: महानवमी पर सिद्धियाँ प्रदान करेंगी माँ सिद्धदात्री, इस मंत्र से पा सकते हैं माँ का आशिर्वाद
By मेघना वर्मा | Published: October 18, 2018 07:13 AM2018-10-18T07:13:14+5:302018-10-18T07:13:14+5:30
Navratri Special मां सिद्धदात्री के स्वरूप की बात करें तो मां का रूप बेहद सौम्य है। इनकी चार भुजाएं और हाथ में चक्र और गदा है।
हिन्दू धर्म में नवरात्रि को सबसे पवित्र माना जाता है। आदि शक्ति मां दुर्गा के इन 9 दिनों में देवी शक्ति की पूजा होती है। श्रद्धालु इन 9 दिनों में मां अम्बे के 9 स्वरूपों की पूजा करते हैं। 18 अक्टूबर को नवरात्रि का 9वां दिन पड़ रहा है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
मान्यता है कि नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धियात्री की पूजा करने से सारी सिद्धियां प्राप्त हो जाती है। देवी सिद्धिदात्री को मां सरस्वती का रूप भी बताया जाता है। यही कराण है कि बुद्धि और बल के लिए भी इनकी पूजा की जाती है।
ऐसा है मां का स्वरूप
मां सिद्धदात्री के स्वरूप की बात करें तो मां का रूप बेहद सौम्य है। इनकी चार भुजाएं और हाथ में चक्र और गदा है। वहीं बांई भुजा पर शंख और कमल के फूल हैं। सिंह पर सवार मां सिद्धिदात्री बेहद शांत हैं। मां सिद्धिदात्री के पूजन वाले इसी दिन को महानवमी के नाम से भी जाना जाता है।
मार्कण्डेय पुराण में है उल्लेख
हिन्दू पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही सिद्धियां प्राप्त की थीं। अणिम, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व ये आठ सिद्धियों का उल्लेख मार्कण्डेय पुराण में मिलता है। इनके अलावा भी कई सिद्धियों को मिलाकर कुल 18 सिद्धियों का वर्णन मिलता है। मां सिद्धिदात्री इन सभी सिद्धियों की दात्री है।
सिद्धियां प्राप्त करने के लिए करते हैं उपासना
मान्यता के अनुसार मां सिद्धिदात्री की पूजा सिद्धी प्राप्त करने के लिए करते हैं। जो साधक सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं उन्हें नवमी के दिन निर्वाण चक्र का भेदन करना होता है। इस तिथि पर विशेष हवन किया जाता है। हवन करते समय सभी देवी-देवताओं के नाम की आहुती देनी होती है जिसके अन्त में मां सिद्धिदात्री के नाम की आहुती दी जाती है।
करें इस मंत्र का जाप
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
देवी का बीज मंत्र-
ऊॅं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नमः ।।
मां सिद्धदात्री की पूजा में हवन करने के लिए दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोकों का प्रयोग किया जा सकता है।