Navratri 2020: 165 साल बाद बन रहा ऐसा संयोग, पितृ पक्ष के एक महीने बाद शुरू होंगे नवरात्र

By गुणातीत ओझा | Published: September 15, 2020 11:33 AM2020-09-15T11:33:35+5:302020-09-15T11:33:35+5:30

हर श्राद्ध खत्म होते ही अगले दिन से नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि होती है और कलश स्थापना की जाती है। लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो रहा है। इस बार श्राद्ध समाप्त होते ही अधिकमास लग जाएगा।

Navratri 2020: Such a coincidence being made after 165 years Navratri will start a month after Pitru Paksha | Navratri 2020: 165 साल बाद बन रहा ऐसा संयोग, पितृ पक्ष के एक महीने बाद शुरू होंगे नवरात्र

इस बार नवरात्रि पर 165 साल बाद बन रहा है ऐसा संयोग, जानें इसके बारे में।

Highlightsहर श्राद्ध खत्म होते ही अगले दिन से नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि होती है और कलश स्थापना की जाती है।इस साल ऐसा नहीं हो रहा है। इस बार श्राद्ध समाप्त होते ही अधिकमास लग जाएगा।

Shardiya Navratri 2020 : हर श्राद्ध खत्म होते ही अगले दिन से नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि होती है और कलश स्थापना की जाती है। लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो रहा है। इस बार श्राद्ध समाप्त होते ही अधिकमास लग जाएगा। अधिकमास लगने से नवरात्रि 20-25 दिन आगे खिसक जाएगी। इस साल दो महीने अधिकमास लग रहे हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि दरअसल लीप वर्ष होने के कारण ऐसा हो रहा है। इसलिए इस बार चातुर्मास जो हमेशा चार महीने का होता है, इस बार पांच महीने का होगा। ज्योतिष की मानें तो 165 साल बाद लीप ईयर और अधिकमास दोनों ही एक साल में हो रहे हैं। चतुर्मास लगने से विवाह, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे।  इस काल में  पूजन पाठ व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है। । इस दौरान देव सो जाते हैं। देवउठनी एकादशी के बाद ही देव जागते हैं।

इस साल 17 सितंबर 2020 को श्राद्ध खत्म होंगे। इसके अगले दिन अधिकमास शुरू हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद 17 अक्टूबर से नवरात्रि व्रत रखें जाएंगे। इसके बाद 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी। जिसके साथ ही चातुर्मास समाप्त होंगे। इसके बाद ही शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन आदि शुरू होंगे। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि विष्णु भगवान के निद्रा में जाने से इस काल को देवशयन काल माना गया है। चतुर्मास में नकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं। इस मास में दुर्घटना, आत्महत्या आदि जैसी घटनाओं की अधिकता होती है। दुर्घटनाओं से बचने के लिए मनीषियों ने चतुर्मास में एक ही स्थान पर गुरु यानी ईश्वर की पूजा करने को महत्व दिया है। इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा पर निवास करते हैं। इस दौरान ब्रह्मांड की सकारात्मक शक्तियों को बल पहुंचाने के लिए व्रत पूजन और अनुष्ठान का भारतीय संस्कृत में अत्याधिक महत्व है। सनातन धर्म में सबसे ज्यादा त्यौहार और उल्लास का समय भी यही है। चतुर्मास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा होती है।

कब से शुरू होगी नवरात्रि
17 अक्टूबर 2020 (शनिवार) - प्रतिपदा घटस्थापना
18 अक्टूबर 2020 (रविवार) -  द्वितीया  माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर 2020 (सोमवार) - तृतीय माँ चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर 2020 (मंगलवार) - चतुर्थी माँ कुष्मांडा पूजा 
21 अक्टूबर 2020 (बुधवार) - पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर 2020 (गुरुवार) - षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा 
23 अक्टूबर 2020 (शुक्रवार) - सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा 
24 अक्टूबर 2020 (शनिवार) - अष्टमी माँ महागौरी दुर्गा महा नवमी पूजा दुर्गा महा अष्टमी पूजा 
25 अक्टूबर 2020 (रविवार) - नवमी माँ सिद्धिदात्री नवरात्रि पारणा विजय दशमी 
26 अक्टूबर 2020 (सोमवार) - दुर्गा विसर्जन 

Web Title: Navratri 2020: Such a coincidence being made after 165 years Navratri will start a month after Pitru Paksha

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