Navratri 2020: नवरात्र में नौ दिन या नौ रात को गिना जाना चाहिए?
By गुणातीत ओझा | Published: October 20, 2020 07:09 PM2020-10-20T19:09:23+5:302020-10-20T19:09:23+5:30
भारत में नवरात्रि को पर्व के रूप में मनाया जाता है। सबसे ज्यादा लोकप्रिय शारदीय नवरात्रि है, जोकि वर्तमान समय में पूरे देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है।
भारत में नवरात्रि को पर्व के रूप में मनाया जाता है। सबसे ज्यादा लोकप्रिय शारदीय नवरात्रि है, जोकि वर्तमान समय में पूरे देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। शायद ही किसी को पता हो कि एक वर्ष में 4 नवरात्रि होते हैं। प्रत्येक नवरात्रि के अलग-अलग महत्व होते हैं। देवी पुराण में ऐसा कहा गया है कि साल भर में मुख्य रुप से नवरात्र का त्योहार 2 बार आता है।
नवरात्र शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- नव और रात्र। नव का अर्थ है नौ और रात्र शब्द में पुनः दो शब्द निहित हैं: रा+त्रि। रा का अर्थ है रात और त्रि का अर्थ है जीवन के तीन पहलू- शरीर, मन और आत्मा।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि अमावस्या की रात से अष्टमी तक या पड़वा से नवमी की दोपहर तक व्रत नियम चलने से नौ रात यानी 'नवरात्र' नाम सार्थक है। चूंकि यहां रात गिनते हैं इसलिए इसे नवरात्र यानि नौ रातों का समूह कहा जाता है। रूपक के द्वारा हमारे शरीर को नौ मुख्य द्वारों वाला कहा गया है और, इसके भीतर निवास करने वाली जीवनी शक्ति का नाम ही दुर्गा देवी है।
इन मुख्य इन्द्रियों में अनुशासन, स्वच्छ्ता, तारतम्य स्थापित करने के प्रतीक रूप में, शरीर तंत्र को पूरे साल के लिए सुचारू रूप से क्रियाशील रखने के लिए नौ द्वारों की शुद्धि का पर्व नौ दिन मनाया जाता है। इनको व्यक्तिगत रूप से महत्व देने के लिए नौ दिन, नौ दुर्गाओं के लिए कहे जाते हैं। हालांकि शरीर को सुचारू रखने के लिए विरेचन, सफाई या शुद्धि प्रतिदिन तो हम करते ही हैं किन्तु अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई करने के लिए हर 6 माह के अंतर से सफाई अभियान चलाया जाता है जिसमें सात्विक आहार के व्रत का पालन करने से शरीर की शुद्धि, साफ-सुथरे शरीर में शुद्ध बुद्धि, उत्तम विचारों से ही उत्तम कर्म, कर्मों से सच्चरित्रता और क्रमश: मन शुद्ध होता है, क्योंकि स्वच्छ मन मंदिर में ही तो ईश्वर की शक्ति का स्थायी निवास होता है।
नवरात्र का वैज्ञानिक आधार
नवरात्र के पीछे का वैज्ञानिक आधार यह है कि पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा काल में एक साल की चार संधियां हैं जिनमें से मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र पड़ते हैं। इस समय रोगाणु आक्रमण की सर्वाधिक संभावना होती है। ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियां बढ़ती हैं। अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए तथा शरीर को शुद्ध रखने के लिए और तन-मन को निर्मल और पूर्णत: स्वस्थ रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम 'नवरात्र' है।