Navratri 2019: आज से शुरू हुआ नवरात्र का पावन पर्व, जानिए कलश स्थापना की विधि, शुभ मुहूर्त और पूजा का समय
By ज्ञानेश चौहान | Published: September 29, 2019 05:31 AM2019-09-29T05:31:47+5:302019-09-29T05:31:47+5:30
साल में 4 नवरात्र पड़ते हैं लेकिन इनमें सबसे अधिक मान्यता चैत्र और शारदीय नवरात्र की है। चैत्र नवरात्र चैत्र महीने में जबकि शारदीय नवरात्र अश्विन मास में पड़ता है।
मां दुर्गा के भक्तों का पावन पर्व नवरात्र आज (29 सितंबर) से प्रारंभ हो रहा है। हिंदू धर्म में इस पर्व का खास महत्व है। 9 से 10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में शक्ति की देवी मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। साल में 4 नवरात्र पड़ते हैं लेकिन इनमें सबसे अधिक मान्यता चैत्र और शारदीय नवरात्र की है। चैत्र नवरात्र चैत्र महीने में जबकि शारदीय नवरात्र अश्विन मास में पड़ता है। इसके अलावा आषाढ़ और पौष माह में भी गुप्त नवरात्र पड़ते हैं।
पहले दिन होगी कलश स्थापना (Navratri Kalash Sthapana Shubh Muhurat)
नवरात्र का त्योहार मुख्यत: भारत के उत्तरी राज्यों में मनाया जाता है। इन दिनों में भक्त उपवास रखते हैं और देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। साथ ही इन दिनों घरों में मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन आदि चीजों का परहेज किया जाता है। नवरात्र में नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि की पूजा की जाती है। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। साथ ही कई भक्त इन नौ दिन उपवास या फलाहार करते हैं। कन्या पूजन के पश्चात उपवास खोला जाता है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त (Navratri Kalash Sthapana )
इस बार नवरात्र पर कलश स्थापना की बात करें तो इसका शुभ मुहूर्त सुबह 6.16 बजे से 7.40 बजे (सुबह) के बीच है। इसके अलावा दोपहर में 11.48 बजे से 12.35 के बीच अभिजीत मुहूर्त भी है जिसके बीच आप कलश स्थापना कर सकते हैं। बता दें कि अश्विन की प्रतिपदा तिथि 28 सितंबर को रात 11.56 से ही शुरू हो रही है और यह अगले दिन यानी 29 सितंबर को रात 8.14 बजे खत्म होगी।
कलश स्थापना की विधि (Kalash Sthapana Vidhi)
नवरात्र के दिन तड़के उठकर घर की साफ-सफाई करनी चाहिए। इसके बाद स्नान आदि कर साफ-सुथरे कपड़े पहने और फिर कलश स्थापना की तैयारी करें। सबसे पहले पूजा का संकल्प लें। संकल्प लेने के बाद मिट्टी की वेदी बनाकर उसपर जौ को बोया जाता है और फिर कलश की स्थापना की जाती है। कलश में गंगा जल रखें के ऊपर कुल देवी की प्रतिमा या फिर लाल कपड़े में लिपटे नारियल को रखें और पूजन करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कलश की जगह पर नौ दिन तक अखंड दीप जलता रहे।