Narada Jayanti 2020: जब क्रोध में आकर ब्रह्मा जी ने नारद मुनि को दिया था ये श्राप, भटकते रहे इधर-उधर, पढ़ें ये रोचक कथा

By मेघना वर्मा | Published: May 8, 2020 08:48 AM2020-05-08T08:48:49+5:302020-05-08T08:48:49+5:30

पुराणों में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि राजा दक्ष ने भी नारद मुनि को यहां वहां भटकते रहने का श्राप दिया था।

narada jayanti 2020 why narada ji not get married in his whole life narada muni know the mythological reason | Narada Jayanti 2020: जब क्रोध में आकर ब्रह्मा जी ने नारद मुनि को दिया था ये श्राप, भटकते रहे इधर-उधर, पढ़ें ये रोचक कथा

Narada Jayanti 2020: जब क्रोध में आकर ब्रह्मा जी ने नारद मुनि को दिया था ये श्राप, भटकते रहे इधर-उधर, पढ़ें ये रोचक कथा

Highlightsब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने नारद मुनि से श्राप देते हुए कहा कि तुम हमेशा अविवाहित रहोगे। ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को नारद जयंती मनाई जाती है।

नारद जी सृष्टी के रचयिता ब्रह्मा जी के पुत्र माने जाते हैं। नारद मुनि को भगवान विष्णु का अनन्य भक्त भी कहा जाता है। हर साल नारद मुनि की जयंती मनाई जाती है। इस साल नारद मुनि की जयंती 8 मई यानी आज पड़ी है। कहा जाता है कि नारद मुनि का जन्म ब्रह्मा जी की गोद से हुआ था। वो ब्रह्मा जी के मानस पुत्र कहलाते हैं। 

पुराणों की मानें तो अपने पिछले जन्म में नारद मुनि ने कड़ी तपस्या की थी। इसी के कारण वे ब्रह्मा जी के मानस पुत्र बन पाए थे। नारद मुनि ब्रह्मांड में घट रही सभी घटनाओं की जानकारी एक जगह से दूसरी जगह ले जाया करते थे। नारद मुनि के विषय में कई प्रसंग मिलते हैं। जिनमें से एक है कि उन्होंने कभी विवाह नहीं किया। इसका जिक्र ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है।

आइए नारद जयंती पर आपको सुनाते हैं ये रोचक कथा-

पिता ब्रह्मा ने ही दिया था श्राप

पुराण के अनुसार नारद जी बहुत चचंल थे। ब्रह्मा जी के चार पुत्रों में वे सबसे ज्यादा हंसी-मजाक और चंचलता से भरे थे। जिस वक्त ब्रह्मा जी सृष्टी की निर्माण कर रहे थे उस वक्त उन्होंने नारद जी से सृष्टि के निर्माण में सहयोग के लिए विवाह करके की बाद कही। इस पर नारद जी ने अपने पिता को मना कर दिया। ब्रह्मा जी इतने क्रोधित हुए कि उन्होंने नारद मुनि को आजीवन अविवाहित रहने का श्राप दे दिया। 

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने नारद मुनि से श्राप देते हुए कहा कि तुम हमेशा अविवाहित रहोगे। तुम हमेशा अपनी जिम्मेदारियों से भागते हो इसलिए अब पूरी जिंदगी इधर-उधर भागते ही रहोगे। ब्रह्मा जी के इस श्राप का ही असर रहा की नारद मुनि ने कभी नहीं की। 

महाराजा दक्ष ने भी दिया था श्राप

पुराणों में इस बात का भी जिक्र मिलता है कि राजा दक्ष ने भी नारद मुनि को यहां वहां भटकते रहने का श्राप दिया था। बताया जाता है कि राजा दक्ष की पत्नी आसक्ति ने 10 हजार पुत्रों को जन्म दिया था। मगर इनमें से किसी ने भी राजा दक्ष का कार्यभार नहीं सभांला क्योंकि नारद मुनि ने सभी को मोक्ष की राह पर चलना सीखा दिया था। 

वहीं दक्ष ने पंचजनी से विवाह किया और एक हजार पुत्रों को जन्म दिया। नारद ने इन पुत्रों को भी सभी प्रकार के मोह माया से दूर रहना सिखा दिया। इस बात से राजा दक्ष इतने क्रोधित हुए कि उन्होनें नारद मुनि को जीवन भर इधर-उधर भटकते रहने का श्राप दे दिया। 

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