राधा अष्टमी 2020: यहाँ आज भी राधा संग रास रचाते हैं कृष्ण, देखने वाला हो जाता है पागल

By गुणातीत ओझा | Published: August 26, 2020 05:00 PM2020-08-26T17:00:18+5:302020-08-26T17:00:18+5:30

भारत में कई ऐसी जगह हैं जिनका रहस्य आजतक कोई सुलझा नहीं सका है। इनमें से एक है वृंदावन स्तिथ निधि वन, जिसके बारे में मान्यता है की यहाँ आज भी हर रात कृष्ण गोपियों संग रास रचाते हैं।

Mysterious Nidhivan Story & History in Hindi yahaan aaj bhee raadha sang raas rachaate hain krsihna dekhane vaala ho jaata hai paagal | राधा अष्टमी 2020: यहाँ आज भी राधा संग रास रचाते हैं कृष्ण, देखने वाला हो जाता है पागल

यहां आज भी गोपियों संग रास रचाते हैं श्री कृष्ण, जानें इस वन का रहस्य।

Highlightsवृंदावन स्तिथ निधि वन, जिसके बारे में मान्यता है की यहाँ आज भी हर रात कृष्ण गोपियों संग रास रचाते हैं।यही कारण है की सुबह खुलने वाले निधिवन को संध्या आरती के पश्चात बंद कर दिया जाता है।

 

भारत में कई ऐसी जगह हैं जिनका रहस्य आजतक कोई सुलझा नहीं सका है। इनमें से एक है वृंदावन स्तिथ निधि वन, जिसके बारे में मान्यता है की यहाँ आज भी हर रात कृष्ण गोपियों संग रास रचाते हैं। यही कारण है की सुबह खुलने वाले निधिवन को संध्या आरती के पश्चात बंद कर दिया जाता है। उसके बाद वहां कोई नहीं रहता है। यहाँ तक की निधिवन में दिन में रहने वाले पशु-पक्षी भी संध्या होते ही निधि वन को छोड़कर चले जाते हैं। आइये आज राधा अष्टमी के शुभ अवसर पर आपको बताते हैं इस रहस्मयी निधिवन के बारे में..

जो भी देखता है रासलीला हो जाता है पागल

शाम होते ही निधि वन बंद हो जाता है और सब लोग यहाँ से चले जाते हैं। यदि कोई छुपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो वो पागल हो जाता है। करीब 10 साल पहले जयपुर से आया एक कृष्ण भक्त रास लीला देखने के लिए निधिवन में छुपकर बैठ गया। सुबह निधि वन को खोला गया तो वो बेहोश मिला, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका था। ऐसे अनेकों किस्से यहाँ के लोग बताते हैं। दूसरा चर्चित किस्सा पागल बाबा का है, जिनकी समाधि भी निधि वन में बनी हुई है। उन्होंने भी एक बार निधि वन में छुपकर रासलीला देखने की कोशिश की थी। जिससे वो पागल हो गए थे। वो कृष्ण के अनन्य भक्त थे इसलिए उनकी मृत्यु के पश्चात निधि वन में ही उनकी समाधि बनवा दी गई।

Nidhivan ki kahani

रंगमहल

निधि वन के अंदर स्थित ‘रंग महल’ के बारे में कहा जाता है कि रोज रात यहाँ पर राधा और कन्हैया आते हैं। रंग महल में राधा और कन्हैया के लिए रखे गए चंदन की पलंग को शाम सात बजे के पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है। सुबह पांच बजे जब ‘रंग महल’ का पट खुलता है तो बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली, दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है। रंगमहल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते हैं और प्रसाद स्वरुप उन्हें भी श्रृंगार का सामान मिलता है।

Rang Mahal

अनोखे पेड़

निधि वन के पेड़ भी बड़े अजीब है जहाँ हर पेड़ की शाखाएं ऊपर की तरफ बढ़ती हैं वहीं निधि वन के पेड़ो की शाखाएं नीचे की और बढ़ती हैं। हालात यह हैं की रास्ता बनाने के लिए इन पेड़ों को डंडों के सहारे रोक गया है।

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पेड़ ले लेते हैं गोपियों का रूप

निधि वन की एक अन्य खासियत यहाँ के तुलसी के पेड़ है।  निधि वन में तुलसी का हर पेड़ जोड़े में है।  इसके पीछे यह मान्यता है कि जब राधा संग कृष्ण वन में रास रचाते हैं तब यही जोड़ेदार पेड़ गोपियां बन जाती हैं। जैसे ही सुबह होती है तो सब फिर तुलसी के पेड़ में बदल जाती हैं।

आसपास के मकानों में नहीं हैं खिड़कियां

वन के आसपास बने मकानों में खिड़कियां नहीं हैं। यहां के निवासी बताते हैं कि शाम सात बजे के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता। जिन लोगों ने देखने का प्रयास किया या तो अंधे हो गए या फिर उनके ऊपर दैवी आपदा आ गई।

राधा रानी का मंदिर

निधि वन में ही वंशी चोर राधा रानी का भी मंदिर है। यहां के महंत बताते हैं कि जब राधा जी को लगने लगा कि कन्हैया हर समय वंशी ही बजाते रहते हैं, उनकी तरफ ध्यान नहीं देते, तो उन्होंने उनकी वंशी चुरा ली। इस मंदिर में कृष्ण जी की सबसे प्रिय गोपी ललिता जी की भी मूर्ति राधा जी के साथ है।

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श्री कृष्ण द्वारा निर्मित विशाखा कुंड

निधिवन में स्थित विशाखा कुंड के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण सखियों के साथ रास रचा रहे थे, तभी एक सखी विशाखा को प्यास लगी। कोई व्यवस्था न देख कृष्ण ने अपनी वंशी से इस कुंड की खुदाई कर दी, जिसमें से निकले पानी को पीकर विशाखा सखी ने अपनी प्यास बुझायी। इस कुंड का नाम तभी से विशाखा कुंड पड़ गया।

Vishakha kund

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