Mauni Amavasya 2021: मौनी अमावस्या पर किन चीजों का करना चाहिए दान, क्या है मान्यता, जानिए हर बात
By विनीत कुमार | Published: February 10, 2021 11:44 AM2021-02-10T11:44:04+5:302021-02-10T11:44:04+5:30
Mauni Amavasya 2021: मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों स्नान और फिर दान को बहुत महत्व है। इस दिन विशेषतौर पर तिल या उससे बनी वस्तुओं का दान किया जाता है। कई और चीजें हैं जिनका दान किया जा सकता है।
Mauni Amavasya 2021: मौनी अमावस्या 11 फरवरी (गुरुवार) को है। हिंदू धर्म में कार्तिक की ही तरह माघ मास का भी काफी महत्व है और इसे बेहद पवित्र महीना कहा गया है। इस महीने की अमावस्या को ही मौनी अमावस्या या माघ अमावस्या कहते हैं।
पुराणों के मुताबिक इसी दिन से द्वापर युग शुरू हुआ था। मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों खासकर प्रयाग के संगम में स्नान सहित दान आदि करने की मान्यता है। इस दिन मौन धारण कर व्रत किया जाता है।
मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को विशेष उर्जा मिलती है। साथ ही दुख, गरीबी से मुक्ति मिलती है और कार्यों में भी सफलता मिलती है। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि मौनी अमावस्या के दिन किन चीजों का दान करना चाहिए।
Mauni Amavasya 2021: मौनी अमावस्या पर क्या करें दान?
जानकारों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन तिल के दान का विशेष महत्व है। साथ ही अन्न, तेल, सूखी लकड़ी, गर्म कपड़े, अन्य वस्त्र, कंबल आदि का भी दिन किया जा सकता है।
साथ ही दूध, चावल, खीर, मिश्री और बताशा आदि भी दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा दूध देने वाली गाय, दर्पण आदि भी दान किए जा सकते हैं।
इन चीजों के दान से अच्छे स्वास्थ्य और ज्ञान की प्रप्ति होती है। ग्रह दोष दूर करने के लिए भी इन चीजों का दान बेहद महत्वपूर्ण होता है। ध्यान रखें कि इस दिन स्नान के बाद ही दान किया जाए।
Mauni Amavasya 2021: मौनी अमावस्या तिथि और शुभ मुहूर्त
अमावस्या की तिथि 10 फरवरी 2021 की रात 1 बजकर 10 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन 12 फरवरी को रात 12.37 बजे हो रहा है।
ऐसा कहते हैं कि मौनी अमावस्या के दिन पवित्र गंगा नदी का पानी अमृत बन जाता है। इसलिए इस दिन गंगा में स्नान का महत्व बहुत बढ़ जाता है। कई लोग तो केवल मौनी अमावस्य ही नहीं बल्कि पूरे माघ महीने में गंगा में स्नान करते हैं।
नियमों के अनुसार साधक को स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद दान आदि करना चाहिए। मौनी अमावस्या कि दिन पितरों का तर्पण करने की भी मान्यता है।
दरअसल, कहा गया है कि मौनी अमानस्या के दिन पितृगण पितृलोक से आकर संगम में स्नान करते हैं। साथ ही देवता भी अदृश्य रूप में इस दिन गंगा में स्नान करते हैं। यही कारण है कि पितरों के तर्पण की इस दिन परंपरा है।