मासिक दुर्गाष्टमी 2020: आज दुर्गाष्टमी पर ऐसे करें मां दुर्गा की पूजा, पढ़ें यह आरती, जानें व्रत विधि
By गुणातीत ओझा | Published: September 24, 2020 11:31 AM2020-09-24T11:31:30+5:302020-09-24T11:31:30+5:30
हर माह शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दुर्गाष्टमी पर देवी दुर्गा की मूर्ति की मन्त्रों से विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर आशीर्वाद बनाती हैं।
आज 24 सितंबर को मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Durgastami 2020) व्रत है। हिन्दू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व माना जाता है। आज के दिन मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त व्रत रखते हैं और विधि विधान से पूजा करते हैं। हर माह शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दुर्गाष्टमी पर देवी दुर्गा की मूर्ति की मन्त्रों से विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर आशीर्वाद बनाती हैं। आइए पढ़ते हैं मां दुर्गा की आरती और मासिक दुर्गा अष्टमी व्रत विधि...
मां दुर्गा की आरती:
जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥
व्रत विधि
- इस दिन व्रती को सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त होना चाहिए।
- इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- फिर पूजा के स्थान को गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।
- इसके बाद लकड़ी के पाट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर लें।
- फिर माता को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें।
- अब प्रसाद के रूप में आप फल और मिठाई चढ़ाएं।
- अब धूप और दीपक जलाएं और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- इसके बाद माता की आरती करें।
- अब हाथ जोड़कर देवी से प्रार्थना करें।
इन मंत्रों का करें जाप
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते॥
देवी सर्वभूतेषु मां दुर्गा-रूपेण संस्थिता।
मस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥