Makar Sankranti 2022 Date: 14 या 15 जनवरी अगर मकर संक्रांति की डेट को लेकर है कोई असमंजस, तो यहां जानें सही तारीख
By रुस्तम राणा | Published: January 13, 2022 02:56 PM2022-01-13T14:56:36+5:302022-01-13T15:00:27+5:30
ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, जिस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उसी दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है और मकर राशि में सूर्य का गोचर 14 जनवरी, शुक्रवार को दोपहर 02:43 बजे होगा। ऐसे में मकर संक्रांति पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा।
Makar Sankranti 2022 Date: मकर संक्राति हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है। सूर्य की उपासना के साथ-साथ इस दिन स्नान एवं दान का विशेष महत्व माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य के उत्तरायण होने पर इसे उत्तरायणी पर्व भी कहा जाता है। 14 या 15 जनवरी, किस दिन मनाई जाएगी मकर संक्रांति? अगर आप मकर संक्रांति की तारीख को लेकर उलझन में पड़े हैं तो आपको हम हिन्दू पंचांग के अनुसार, सही तिथि की जानकारी देंगे। ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, जिस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उसी दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है और मकर राशि में सूर्य का गोचर 14 जनवरी, शुक्रवार को दोपहर 02:43 बजे होगा। ऐसे में मकर संक्रांति पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति मुहूर्त 2022
मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से शाम 5 बजकर 45 मिनट तक तक रहेगा। जबकि इस दिन महापुण्य काल मुहूर्त 2 बजकर 43 मिनट से 4 बजकर 28 मिनट तक तक रहेगा।
मकर संक्रांति पूजा विधि
मकर संक्रांति के दिन तड़के उठकर स्नान आदि करना चाहिए। इसके लिए आप किसी पवित्र नदी में जा सकते हैं। कोरोना वायरस के कारण अगर नदी में जाना संभव नहीं है तो घर में पानी में तिल डाल कर स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव को जल चढ़ाने की परंपरा है। सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल फूल, चंदन, तिल और गुड़ रख लें। जल के इसी मिश्रण को सूर्य देव को अर्पित करें। भगवान सूर्य को जल अर्पित करते हुए 'ॐ सूर्याय नम:' मंत्र का भी जाप करना चाहिए। साथ ही इसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार वस्त्र और अन्न आदि दान करना चाहिए। तिल के दान का महत्व खास है। साथ ही चावल, दाल, खिचड़ी का दान भी बहुत शुभ माना गया है। इसके अलावा ब्राह्मण को भोजन कराने की भी परंपरा है।
मकर संक्रांति का महत्व
मान्यता के अनुसार, जब 6 महीने के शुभ काल में सूर्य देव उत्तरायण होते हैं, तो पृथ्वी ऊर्जामय हो जाती है। इस दिन शरीर त्यागने वाले लोगों को सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति पर शनिदेव के दिपक जलाकर पूजा जाता है और इस दिन मांगी गई मनोकामना भी पूरी होती है। देश के विभिन्न हिस्सों में यह त्योहार विविध रूपों में मनाया जाता है। किसान इस दिन को कृतज्ञता दिवस के रूप में भी मनाते हैं। इस दिन तिल और गुड़ से बनी मिठाइयां बांटी जाती हैं। इसके अलावा, मकर संक्रांति पर कुछ जगहों पर पतंग उड़ाने की भी परंपरा है।