Mahalya 2019: महालया कब है? दुर्गा पूजा से पहले क्या है महालया का महत्व और क्यो मनाते हैं इसे, जानिए
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 14, 2019 03:25 PM2019-09-14T15:25:44+5:302019-09-14T15:25:44+5:30
Mahalaya 2019: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा ने 9 दिनों तक चले युद्ध में असुरों के राजा महिषासुर का वध किया था। इसी युद्ध से पहले महालया को मां दुर्गा के पृथ्वी पर आने के दिन के तौर पर मनाया जाता है।
Mahalaya 2019: महालया के साथ ही दुर्गा पूजा के उत्सव की शुरुआत हो जाती है। महालया पितृपक्ष के समापन का भी संकेत है और इसके बाद से ही नवरात्रि की शुरुआत होती है। महालया का सबसे ज्यादा महत्व बंगाली लोगों के लिए होता है। वे इसे बहुत उत्साह से मनाते हैं। दुर्गा पूजा को बुराई पर अच्छाई के जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है और इस दौरान उनके 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है।
Mahalaya 2019: महालया कब है, क्या है इसका महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा ने 9 दिनों तक चले युद्ध में असुरों के राजा महिषासुर का वध किया था। इसी युद्ध से पहले महालया को मां दुर्गा के पृथ्वी पर आने के दिन के तौर पर मनाया जाता है। एक तरह से यह दुर्गा उत्सव शुरू होने से एक दिन पहले का दिन होता है। दुर्गा पूजा की विधिवत शुरुआत षष्ठी से प्रारंभ होती है। इस बार महालया 28 सितंबर को है।
हिंदुओं के लिए महालया इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पूर्वजों के तर्पण और पिंडदान का आखिर दिन है। एक मान्यता ये भी है कि महालया के दिन असरों और देवों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। इसमें काफी संख्या में देव और ऋषियों की मृत्यु हो गई थी। उन्हें तर्पण देने के लिए महालय होता है।
Mahalaya 2019: महालया से शुरू होता है देवी दुर्गा की आंखों को तैयार करने का काम
महालया के दिन का महत्व बंगाल में इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इसी दिन से देवी दुर्गा की मूर्ति बनाने वाले कारीगर उनकी आंखों को तैयार करते हैं। वैसे मां दुर्गा की मूर्ति बनाने का काम काफी पहले से ही शुरू हो जाता है। महालया के दिन मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखें बनाते हैं और उनमें रंग भरने का काम करते हैं। इस काम को अंजाम देने से पहले एक पूजा भी की जाती है।