महाभारत: दुर्योधन का वो भाई जिसने पांडवों की सेना की ओर से युद्ध लड़ा, क्या हुआ फिर, जानिए कहानी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 13, 2019 09:41 AM2019-06-13T09:41:33+5:302019-06-13T15:51:09+5:30

कहा जाता है कि युयुत्सु में 60,000 लड़ाकों से एक साथ लड़ने की क्षमता थी। युयुत्सु पांडवों सहित उन योद्धाओं में भी शामिल थे जो महाभारत के युद्ध के बाद जिंदा रह गये।

Mahabharata: story of yuyutsu the only kaurava brother who fought for pandavas | महाभारत: दुर्योधन का वो भाई जिसने पांडवों की सेना की ओर से युद्ध लड़ा, क्या हुआ फिर, जानिए कहानी

महाभारत: युयुत्सु की कहानी

Highlightsधृतराष्ट्र के 100 से भी ज्यादा संतान थे, इसमें एक पुत्र ने पांडव के लिए लड़ा युद्धयुयुत्सु के जन्म की कहानी बेहद दिलचस्प है, वे गांधारी के संतान नहीं थे

महाभारत के युद्ध के बारे में कौन नहीं जानता है। पांडवों और कौरवों के बीच 18 दिन चले युद्ध की कहानी का हर मोड़ बेहद रोचक है। कहा जाता है कि धृतराष्ट्र के 100 से भी ज्यादा संतान थे। इसमें दुर्य़ोधन सबसे बड़ा था। साथ ही धृतराष्ट्र की एक बेटी दुशाला भी थी। महाभारत के युद्ध में धृतराष्ट्र के सभी पुत्र मारे गये लेकिन क्या आप जानते हैं कौरवों में एक ऐसा शख्स भी था जो महाभारत युद्ध से ठीक पहले पांडवों की सेना में शामिल हो गया। आज, हम आपको उसी शख्स के बारे में बताने जा रह हैं। 

युयुत्सु: कौरव सेना छोड़ पांडवों में हो गये थे शामिल

युयुत्सु के जन्म की कहानी बेहद दिलचस्प है। युयुत्सु दरअसल गांधारी की संतान नहीं थे बल्कि एक दासी ने उन्हें जन्म दिया। चूकी वह भी धृतराष्ट्र के ही बेटे थे, इसलिए कौरव कहलाए। युयुत्सु का जन्म भी उसी दिन हुआ जिस दिन गांधारी ने अपने दूसरे 100 पुत्रों को जन्म दिया। युयुत्सु के बारे में कहा जाता है कि वह युद्ध से ठीक पहले कौरवों की सेना को छोड़कर पांडवों की सेना में शामिल हो गये थे। युयुत्सु बाहुबल के मामले में भी कई कौरवों से आगे थे।

कहा जाता है कि उनमें 60,000 लड़ाकों से एक साथ लड़ने की क्षमता थी। युयुत्सु पांडवों सहित उन योद्धाओं में भी शामिल थे जो महाभारत के युद्ध के बाद जिंदा बच गये। महाभारत युद्ध के काफी वर्षों बाद जब पांडव हस्तिनापुर छोड़ कर जाने लगे तो युधिष्ठर ने युयुत्सु को राज्य के प्रबंधन का कार्य सौंपा जबकि अर्जुन के परपोते परीक्षित को राजा बनाया गया।

कौरव के जन्म से जुड़ी कहानी

गांधारी ने वेदव्यास से पुत्रवती होने का वरदान प्राप्त किया था। हालांकि, गांधारी गर्भ धारण कर लेने के दो वर्षों के पश्चात भी कोई भी संतान उत्पन्न नहीं सकी थी। इस पर क्रोधवश गांधारी ने अपने पेट पर जोर से मुक्के से मारा। इस कारण उनका गर्भ गिर गया। वेदव्यास को जब इस बात की जानकारी मिली वे तुरंत गांधारी के पास पहुंचे और कहा कि उनका दिया हुआ वर कभी मिथ्या नहीं जाता। वेदव्यास ने कहा, 'अब तुम जल्द सौ कुंड तैयार करवाओ और उनमें घी भरवा दो।'

वेदव्यास ने इसके बाद गांधारी के गर्भ से निकले मांस पिंण्ड पर मंत्र पढ़ते हुए जल छिड़का जिससे उस पिण्ड के सौ टुकड़े हो गए। वेदव्यास ने उन टुकड़ों को सौ कुंडों में रखवा दिया। कुछ सालों बाद जब इसे खोला गया तो वहीं से सबसे पहले दुर्योधन और फिर दूसरे संतानों की उत्पत्ति हुई।

Web Title: Mahabharata: story of yuyutsu the only kaurava brother who fought for pandavas

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