महाभारत: भीष्म पितामह की मां ने जब अपने 7 पुत्रों को जन्म लेते ही नदी में बहा दिया! ऐसे बची पितामह की जान
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 25, 2020 01:44 PM2020-01-25T13:44:15+5:302020-01-25T13:44:15+5:30
महाभारत: भीष्म पितामह के जन्म को लेकर बेहद दिलचस्प कथा है। महाभारत की कथा के अनुसार उनके सात भाईयों को उनकी ही मां गंगा ने नदी में बहा दिया था।
महाभारत की कहानी में भीष्म पितामह की भूमिका बेहद अहम है। भीष्म पितामह के बचपन का नाम देवव्रत था लेकिन विवाह नहीं करने की प्रतिज्ञा के बाद उन्हें भीष्म कहा जाने लगा। भीष्म पितामह ने ये भी प्रण लिया था कि हस्तिनापुर को सुरक्षित हाथों में सौंपे बिना वे अपने प्राणों का त्याग नहीं करेंगे। भीष्म को चूकी इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, इसलिए उन्होंने इस प्रण को भी बखूबी निभाया।
महाभारत के युद्ध में भीष्म को अर्जुन ने शिखंडी की मदद से शस्त्र छोड़ने पर मजबूर किया और फिर बाणों की शैय्या पर लिटा दिया। इसके ही बाद पांडव की जीत का रास्ता साफ हो सका। हालांकि, जिस प्रकार भीष्म पितामह की मृत्यु की कहानी हैरान करने वाली है कुछ ऐसी ही हैरान करने वाली कहानी उनके जन्म से भी जुड़ी है।
भीष्म के जन्म से पहले मारे गये थे उनके 7 भाई
भीष्म हस्तिनापुर के राजा शांतनु और गंगा के पुत्र थे। शांतनु दरअसल गंगा का रूप देख उन पर मोहित हो गये और विवाह का प्रस्ताव रखा।
माता गंगा ने उनके सामने शर्त रख दी कि वे जीवन में कभी कोई सवाल उनसे नहीं करेंगे। वे जो करती है, शांतनु को उसे चुपचाप देखना होगा। अगर उन्होंने सवाल किया तो वे पहले प्रश्न का उत्तर देकर उनकी जिंदगी से हमेशा-हमेशा के लिए चली जाएंगी।
शांतनु प्रेम में थे और इसलिए बिना सोचे-समझे गंगा की शर्त मान ली। दोनों का विवाह हुआ और आगे चलकर एक-एक कर 7 पुत्र पैदा हुए। हालांकि गंगा सभी को जन्म लेते ही नदी में बहाते चली गईं। अपने ही बेटों के इस तरह मारे जाने पर शांतनु विचलित थे लेकिन शर्त के अनुसार कोई सवाल नहीं पूछ सकते थे।
आखिरकार जब भीष्म का जन्म हुआ तो शांतनु से रहा नहीं गया और उन्होंने बच्चे को गंगा के हाथ से छीन लिया और पूछा कि वह अपने ही बच्चे को मारने की अमानवीय हरकत क्यों कर रही हैं। गंगा ने कहा- 'आपने शर्त तोड़ दी लेकिन जाने से पहले मारने का कारण जरूर बताऊंगी।'
गंगा ने बताया भीष्म पितामह के पूर्व जन्म की कथा
इसके बाद गंगा ने बताया कि भीष्म दरअसल आठ वसु देवों में से एक हैं। उन्होंने वशिष्ठ ऋषि की नंदिनी गाय को चुराने का अपराध किया और इसलिए उन्हें मृत्युलोक पर जन्म लेने का शाप मिला। वहीं, अन्य वसुओं ने इसमें उनकी मदद की। इसलिए शाप के अनुसार सभी 7 वसु मृत्युलोक पर कुछ देर के लिए रहे जबकि भीष्म (देवव्रत) को लंबा जीवन जीना होगा। इसके बाद गंगा देवव्रत को अपने साथ लेकर चली गईं।
जाते-जाते गंगा ने बताया भीष्म के युवा होने पर वे इसे वापस ले आएंगी और साथ ही ये भी सुनिश्चित करेंगी कि एक अच्छा राजा बनने के लिए उसे सारी शिक्षा मिले। गंगा बच्चे को लेकर चली गई। शांतनु उदासीन और खोए हुए रहने लगे। आखिरकार कई वर्ष खत्म होने के बाद गंगा वापस आईं और भीष्म को शांतनु को सौंपकर वापस चली गईं।