महाभारत युद्ध के 36 साल बाद इस दिन हुई थी श्रीकृष्ण की मृत्यु, श्राप की वजह से खत्म हो गया उनका वंश

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 24, 2019 10:15 AM2019-06-24T10:15:21+5:302019-06-24T11:19:35+5:30

श्रीकृष्ण युद्ध के बाद जब द्वारका लौटने लगे तो वे माता गांधारी का आशीर्वाद लेने उनके पास पहुंचे। गांधारी उन्हें देखते ही आग बलूला हो गईं और श्राप दिया।

mahabharata how shri krishna died and how yaduvansh and dwarka destroyed | महाभारत युद्ध के 36 साल बाद इस दिन हुई थी श्रीकृष्ण की मृत्यु, श्राप की वजह से खत्म हो गया उनका वंश

भगवान श्रीकृष्ण की कहानी (फोटो- वीडियो ग्रैब)

Highlightsभगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु महाभारत युद्ध के 36 साल बाद हुईमाता गांधारी के एक श्राप की वजह से हुआ यदुवंश का नाश

महाभारत काल से जुड़ी कई ऐसी रोचक बातें हैं जो हैरान करती हैं। इसी में एक है भगवान श्रीकृष्ण के पृथ्वीलोक छोड़ने और उनके वंश के खत्म हो जाने की कहानी। कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला और इस दौरान 100 कौरव भाईयों समेत कई महारथी वीरगति को प्राप्त हुए। इसी युद्ध के बाद कुछ ऐसा हुआ जिसने भगवान कृष्ण और यदुवंश के भविष्य को बदल दिया। 

दरअसल, श्रीकृष्ण को एक श्राप मिला जिसके कारण 36 साल बाद उन्हें पृथ्वीलोक छोड़ना पड़ा। साथ ही इसके कुछ वर्षों के बाद द्वारका नगरी भी नष्ट हो गई। वेद व्यास की ओर से दी गई ज्योतिष संबंधी सूचनाओं (नक्षत्र-तारों की तब की स्थिति) के अनुसार भगवान कृष्ण की मृत्यु 13 अप्रैल 3031 (शुक्रवार) को हुई

श्रीकृष्ण को मिला था गांधारी से श्राप

महाभारत युद्ध के बाद गांधारी अपने पुत्रों के मारे जाने का विलाप कर रही थीं। गांधारी का मानना था कि इस युद्ध के जिम्मेदार श्रीकृष्ण हैं क्योंकि अगर वे चाहते को इसे रोका जा सकता था। ऐसे में श्रीकृष्ण युद्ध के बाद जब द्वारका लौटने लगे तो वे माता गांधारी का आशीर्वाद लेने उनके पास पहुंचे।

गांधारी उन्हें देखते ही आग बलूला हो गईं और श्राप दिया कि जिस तरह कुरु वंश का इस युद्ध में नाश हो गया, उसी तरह श्रीकृष्ण के यदु वंश का भी नाश हो जाएगा। श्रीकृष्ण इसके बाद द्वारका लौट गये। हालांकि, कुछ समय बाद गांधारी के श्राप ने आकार लेना शुरू कर दिया। उनके वंशजों में विवाद शुरू हो गये। 

 जब यदुवंशियों की मति भ्रमित होने लगी

यह यदु पर्व का अवसर था, जिसे मनाने के लिए सभी यदुवंशी सोमनाथ में एक क्षेत्र के पास एकत्र हुए। सभी लोग मदिरा पान कर रहे थे। एकाएक सभी की मति भ्रमित होने लगी और विवाद शुरू हो गया। इस विवाद ने फिर भयानक रूप ले लिया और सभी ने एक-दूसरे को जान से मारना शुरू कर दिया। यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा। श्रीकृष्ण और बलराम को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने कुछ यदुवंशियों को संभालने का काम किया हालांकि, तब तक काफी देर हो चुकी थी।

बलराम ने जब यह देखा तो वे बहुत हताश हुए और कुछ दिनों बाद कृष्ण से कहा कि अब उनका मन पृथ्वी पर नहीं लग रहा और वे अपने लोक जाना चाहते हैं। श्री शेषनाग के अवतार बलराम ने इतना कहकर जल में समाधी ले ली। श्रीकृष्ण ने भी इसके बाद कुछ दिन धरती पर व्यतीत किये। एक दिन वे वन में भ्रमण कर रहे थे और एक पेड़ के नीचे  रूककर आराम करने लगे। इसी दौरान जरा नाम के एक शिकारी का तीर उनके पैर में आकर लगा। श्रीकृष्ण ने वहीं प्राण त्याग दिये और बैकुंठ लौट गये।

English summary :
There are many interesting stories associated with the Mahabharata period. In this one of the interesting story of Lord Sri Krishna left the Earth and the end of his lineage. Mahabharata war in Kurukshetra lasted for 18 days and during this time many Maharathi died, including 100 Kauravs,


Web Title: mahabharata how shri krishna died and how yaduvansh and dwarka destroyed

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