महाभारत युद्ध के सालों बाद जब एक रात के लिए दुर्योधन समेत सभी मारे गये महारथी जी उठे थे!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 19, 2020 12:43 PM2020-01-19T12:43:46+5:302020-01-19T12:43:46+5:30
महाभारत में महाभारत और कौरवों की लड़ाई की कहानी से सभी वाकिफ हैं। क्या आपको पता है लड़ाई के वर्षों बाद सभी महारथी एक बार फिर जिंदा हो उठे थे।
Mahabharat: कौरव और पांडवों के बीच महाभारत की लड़ाई से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं जो बेहद हैरान करने वाले हैं। इसी में से एक कहानी सभी मारे गए योद्धाओं के एक बार फिर से जिंदा होने की भी है।
ऐसी मान्यता है कि युद्ध खत्म होने के बाद सालों बाद कौरव और पांडव की ओर से मारे गये सभी महारथी एक बार फिर जिंदा हो उठे थे। ये सभी महारथी एक रात के लिए जिंदा हुए थे। इसमें दुर्योधन समेत भीष्ण पितामह, द्रोणाचार्य, कर्ण, दुशासन, अभिमन्यु आदि तक शामिल हैं।
Mahabharat: जब एक रात के लिए जिंदा हुए सभी महारथी
कथा के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठिर ने हस्तिनापुर की गद्दी संभाल ली और उनका राजकाज अच्छे से चलने लगा। दूसरी ओर दुर्योधन के पिता धृतराष्ट्र अपनी पत्नी गांधारी समेत वन को चले गये। इनके साथ पांडवों की माता कुंती और धृतराष्ट्र के भाई विदुर और संजय भी वन चले गए। इन सभी के वन में रहते हुए बहुत दिन हो गये तो युधिष्ठिर को इनकी याद आई और वे उनसे मिलने वन की ओर चल पड़े।
इसी दौरान ये घटना घटी। धृतराष्ट्र के आश्रम में महर्षि वेदव्यास आए। धृतराष्ट्र और गांधारी ने तब युद्ध में मृत अपने पुत्रों को देखने की इच्छा प्रकट की। कुंती ने भी कर्ण को देखने की इच्छा प्रकट की। महर्षि वेदव्यास ने कहा कि ऐसा ही होगा। युद्ध में मारे गए जितने भी वीर हैं, उन्हें आज रात तुम सभी देख सकोगे।
ऐसा कहकर महर्षि वेदव्यास सभी को गंगा तट पर लेकर गए। वेदव्यास के कहने पर सभी गंगा तट पर गए और रात होने का इंतजार करने लगे। जब रात हुई तो वेदव्यास ने गंगा नदी में प्रवेश किया और पांडव और कौरव पक्ष के सभी मृत योद्धाओं का आह्वान किया।
फिर थोड़ी ही देर बाद भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण, दुर्योधन, दुशासन, अभिमन्यु, घटोत्कच और अन्य महारथी जल से बाहर निकल आए। उस समय उन सभी के मन में किसी भी प्रकार का क्रोध या अहंकार नहीं था। महर्षि वेदव्यास ने धृतराष्ट्र और गांधारी को अपने पुत्रों से मिलने के लिए दिव्य नेत्र प्रदान किए।
सारी रात अपने मृत परिजनों के साथ बिताकर सभी के मन में संतोष हुआ और अपने मृत पुत्र, भाई, पतियों और अन्य संबंधियों से मिलकर सभी का संताप दूर हो गया। रात खत्म होते ही सभी जल में समा गये और इस तरह ये रात खत्म हुई।