महाभारत: युधिष्ठिर ने जब अपनी मां कुंती को दिया श्राप, जानिए क्या थी वजह

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 20, 2019 11:32 AM2019-06-20T11:32:00+5:302019-06-20T11:59:56+5:30

करीब 5000 साल पहले की इस कहानी से जुड़े ऐसे कई रोचक प्रसंग हैं जो बहुत लोगों को मालूम नहीं हैं। इसी में से एक है ज्येष्ठ पांडु पुत्र युधिष्ठिर का अपनी ही मां कुंती को श्राप देने का प्रसंग, जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

Mahabharat story when Yudhishthir cursed his own mother Kunti after death of karna | महाभारत: युधिष्ठिर ने जब अपनी मां कुंती को दिया श्राप, जानिए क्या थी वजह

माता कुंती को युधिष्ठिर ने दिया था श्राप (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsमहाभारत के युद्ध से जुड़ी है युधिष्ठिर के अपनी माता कुंती को श्राप देने की कहानीयुद्धिष्ठिर अपनी माता कुंती के एक राज छिपाये जाने से बेहद नाराज हुए थे

कौरवों और पांडवों के बीच हुए महाभारत के युद्ध से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं जो अपने आप में दिलचस्प और हैरान करने वाली हैं। मान्यताओं के अनुसार महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक लड़ा गया और इसमें हजारों महारथी और सैनियों की जान गई। पांडवों ने युद्ध जरूर जीत लिया लेकिन इसके बावजूद वे खुश नहीं थे।

इसका कारण ये था कि इस युद्ध में पांडवों के कई नाते-रिश्तेदार समेत बड़ी संख्या में लोग मारे गये। यहां तक कि पांडव के गुरु द्रोणाचार्य, भीष्म पितामह जैसे दिग्गज भी उनका साथ छोड़ गये। युद्ध के बाद पांडवों ने एक महीने से ज्यादा समय तक गंगा किनारे वास किया और मारे गये सैनिकों, रिश्तेदारों और मित्रों की अंतिम क्रिया से जुड़ी रस्में पूरी की।

करीब 5000 साल पहले की इस कहानी से जुड़े ऐसे कई रोचक प्रसंग हैं जो बहुत लोगों को मालूम नहीं हैं। इसी में से एक है ज्येष्ठ पांडु पुत्र युधिष्ठिर का अपनी ही मां कुंती को श्राप देने का प्रसंग, जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। यह वाकया महाभारत युद्ध के दौरान का है जब आम तौर पर धर्म और शांति की बात करने वाले पांडु के सबसे बड़े पुत्र युधिष्ठिर अपना धैर्य गंवा बैठे और कुरुक्षेत्र में युद्ध के मैदान पर ही अपनी मां कुंती समेत पूरी स्त्री जाति को श्राप दे डाला। 

कुंती को श्राप से जुड़ी कहानी से पहले का हिस्सा

गुरु द्रोणाचार्य के वीरगति प्राप्त होने के बाद दुर्योधन अपने मित्र कर्ण को कौरव सेना का सेनपति बना चुका था। युद्ध के 14वें दिन अर्जुन ने जयद्रथ को मारकर अपने बेटे अभिमन्यू की मृत्यु का बदला ले लिया था। इससे कौरव सेना में हताशा थी। वहीं, दूसरी ओर भीम के बेटे घटोत्कच ने भी कौरव सेना में कोहराम मचा दिया था। हालत ये हो गई थी कि हर ओर कौरव सैनिका मारे जा रहे थे। कौरव घटोत्कच को मारने की तरकीब खोज रहे थे। ऐसे में सभी को कर्ण का ख्याल आया।

कर्ण के पास भगवान इंद्र का दिया ऐसा दिव्य बाण था जिससे घटोत्कच को मारा जा सकता था। हालांकि, कर्ण ने अर्जुन के साथ युद्ध के लिए बचा रखा था। हालांकि, बदलती परिस्थिति को देखते हुए दुर्योधन और दूसरे कौरवों ने कर्ण से घटोत्कच को मारने का अनुरोध किया। कर्ण ने आखिरकार कौरवों की बात मानकर अपने दिव्य बाण का इस्तेमाल करते हुए घटोत्कच को मार गिराया।
 
इसके बाद अगले दिन यानि युद्ध के 16वें दिन कुरुक्षेत्र में अर्जुन और कर्ण का सामना-सामना हुआ। अर्जुन आखिरकार कर्ण पर विजय हासिल करने में कामयाब रहे। दरअसल, दोनों के बीच युद्ध के निर्णायक समय पर कर्ण के रथ का पहिया जमीन में धंस गया और इसी मौके पर अर्जुन ने कर्ण का वध कर दिया। 

माता कुंती को जब युधिष्ठिर ने दिया श्राप

कर्ण दरअसल कुंती के पुत्र थे और इस तरह वे पांडवों में ज्येष्ठ थे। हालांकि, इसकी जानकारी पांडवों को नहीं थी। कर्ण के वीरगति प्राप्त होने के बाद जब उस दिन का युद्ध खत्म हुआ तो माता कुंती वहां पहुंची और कर्ण के शव पर विलाप करने लगीं। इसे देख पांडव हैरान रह गये। युधिष्ठिर ने इस संबंध में जब पूछा तो श्रीकृष्ण और कुंती ने उन्हें सच्चाई बताई। कुंती ने बताया कि कर्ण उनके पुत्र हैं और ऐसे में सभी पांडव भाईयों में सबसे बड़े हुए।

युधिष्ठिर ऐसा सुनते ही अपना आपा खो बैठे। वे इस बात से नाराज थे कि कर्ण के पांडव भाई होने की बात क्यों छिपाई गई। अपने ही बड़े भाई की हत्या की बात सुन सभी पांडव हैरान थे। युधिष्ठिर ने इस मौके पर गुस्से में अपनी मां कुंती को श्राप दिया कि भविष्य में अब कोई भी स्त्री कोई बात अपने पास छिपा या अपने पेट में पचा कर नहीं रख सकेगी और उसे इसे किसी न किसी के सामने जाहिर करना होगा।

English summary :
Mahabharat Suryaputra karn katha in hindi: There are many stories related to the war of Mahabharata between the Kauravas and the Pandavas, which are interesting and surprising in themselves. According to beliefs, the war of Mahabharata was fought for 18 days and it lost thousands of Maharshi and Sainis.


Web Title: Mahabharat story when Yudhishthir cursed his own mother Kunti after death of karna

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