महाभारत: कर्ण से कैसे हो गई थी गो-हत्या? वो तीन शाप जो युद्ध में अर्जुन के हाथों उनके वध का कारण बने
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 4, 2019 12:58 PM2019-07-04T12:58:09+5:302019-07-04T12:58:09+5:30
युद्ध के बीच ही कर्ण के रथ का पहिया धरती में धंस गया। कर्ण जब उस पहिये को निकालने में व्यस्त थे, तभी अर्जुन ने श्रीकृष्ण के कहने पर बाण चलाकर कर्ण का सिर धड़ से से अलग कर दिया।
महाभारत में भीष्ण पितामह, गुरु द्रोणाचार्य के बाद कर्ण कौरवों की ओर से एक ऐसे महारथी थे जो अकेले अपने दम पर युद्ध के नतीजे को बदलने का माद्दा रखते थे। अर्जुन को भले ही सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर माना जाता है लेकिन कर्ण भी उनसे कही पिछे नहीं थे। हालांकि, कर्ण को मिले तीन शाप ने युद्ध में उन्हें कमजोर कर दिया और अर्जुन ने उनका वध किया। दरअसल, युद्ध के बीच ही कर्ण के रथ का पहिया धरती में धंस गया। कर्ण जब उस पहिये को निकालने में व्यस्त थे, तभी अर्जुन ने श्रीकृष्ण के कहने पर बाण चलाकर कर्ण का सिर धड़ से से अलग कर दिया।
कर्ण को मिले थे तीन शाप
धरती माता का शाप: कर्ण का पूरा जीवन संघर्षों से भरा रहा। माता कुंती ने उन्हें जन्म दिया लेकिन अविवाहित होने और समाज के लोकलाज के कारण उन्होंने नवजात बच्चे को नदी में बहा दिया। कर्ण बाद में रथ चलाने वाले के घर पले और बढ़े। कर्ण को पहला शाप धरती मां से मिला। एक कथा के अनुसार एक बार एक बच्ची दूध लेकर जा रही थी, तभी रास्ते में वह गिर गया और जमीन पर बिखर गया। बच्ची को डर लग रहा था कि उसकी माता अब उस पर बहुत क्रोध करेगी। कर्ण ने ऐसे समय में उसकी मदद करने की सोची।
कर्ण ने अपने बाणों से पृथ्वी के उसे हिस्से को ऐसा मोड़ा कि पूरा दुध वापस बच्ची के बर्तनों में समा गया। इस प्रक्रिया में हुए असहनीय दर्द से धरती माता बहुत नाराज हुईं और कर्ण को शाप दिया कि वह युद्ध में अहम मौके पर उसका साथ नहीं देंगी और उनके लिए और मुश्किलें खड़ी कर देंगी। महाभारत के युद्ध में ऐसा ही हुआ और ऐन मौके पर उनका रथ धरती में फंस गया।
गो-हत्या के कारण ब्राह्मण ने दिया शाप: कर्ण एक समय शब्द भेदी बाण का अभ्यास कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने एक जंगली जानवर समझ कर एक बाण चलाया जो एक गाय को जा लगी। यह गाय एक ब्राह्मण की थी। वह इसे देखकर बहुत क्रोधित हुए कर्ण को शाप दे डाला कि वह किसी युद्ध में उस समय मारे जाएंगे जब उनका ध्यान बंटा होगा।
गुरु परशुराम से मिला कर्ण को शाप: कर्ण की रूचि बचपन से ही युद्ध कला में पारंगत होने की थी। उन्होंने इसके लिए द्रोणाचार्य से प्रार्थना की। हालांकि, द्रोणाचार्य ने यह कह कर मना कर दिया कि कर्ण क्षत्रिय नहीं हैं। इसके बाद कर्ण ने परशुराम से युद्ध कला सीखाने की प्रार्थना की। परशुराम केवल ब्राह्मण को शिक्षा देते थे। ऐसे में कर्ण ने उनसे झूठ बोला कि वे ब्राह्मण है। परशुराम इसके बाद कर्ण को शिक्षा देने के लिए तैयार हो गये। उन्होंने कर्ण को हर विद्या सीखाई। परशुराम साथ विद्या के प्रति आस्था को देख कर्ण से बेहद प्रभावित भी थे और उनके परम शिष्यों में शामिल हो गये।
शिक्षा समाप्त होने के आखिरी दिन परशुराम दरअसल कर्ण के जांघों पर सिर रख कर आराम कर रहे थे। इसी दौरान एक कीड़ा आया और उसने कर्ण के जांघों को काटना शुरू कर दिया। दर्द के कारण कर्ण की नजर जब उस पर कीड़े पर पड़ी तो वे इसलिए उसे नहीं हटा सके क्योंकि ऐसा करने से उनके गुरु की नींद खराब हो सकती थी। कर्ण काफी देर तक ये दर्द सहते रहे। परशुराम की जब नींद खुली तो उन्होंने ये दृश्य देखा और कर्ण से पूछा कि उन्होंने कीड़े को हटाया क्यों नहीं। इस पर कर्ण ने कहा कि वे नहीं चाहते थे कि गुरु के आराम में विध्न पड़े।
यह सुनकर गुरु परशुराम को क्रोध आ गया और उन्होंने आरोप लगाया कि कर्ण ने झूठ बोला कि वे क्षत्रीय नहीं है। ऐसा इसलिए कि क्षत्रीय के अलावा किसी और में इतनी सहनशक्ति हो ही नहीं सकती। इसके बाद परशुराम ने शाप दिया जब उनकी सिखाई शस्त्र विद्या की सबसे ज्यादा जरूरत होगी, उस समय ये विद्या उनके किसी काम नहीं आयेगी। अर्जुन के साथ महाभारत के युद्ध के दौरान कर्ण के साथ ऐसा ही हुआ।