महाभारत: अभिमन्यु के साथ चक्रव्यूह में क्यों नहीं दाखिल हो सके थे भीम, क्या किया था जयद्रथ ने उस दिन? जानिए
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 24, 2020 11:16 AM2020-02-24T11:16:26+5:302020-02-24T16:37:46+5:30
महाभारत की लड़ाई में अभिमन्यु की हत्या का प्रसंग बेहद दर्दनाक है। केवल 16 साल के इस योद्धा की हत्या कौरव सेना के 7 महारथियों ने एक साथ कर दी थी।
महाभारत की लड़ाई में कई ऐसे प्रसंग आते हैं जहां नियमों, मानवता आदि को ताक पर रख दिया गया। इसी में से एक अभिमन्यु की हत्या से जुड़ी कहानी भी है। अर्जुन को युद्ध स्थल से दूर भेजकर चक्रव्यूह की रचना और फिर अभिमन्यु को उसमें फांसकर उनकी दुर्योधन, जयद्रथ सहित 7 महारथियों द्वारा हत्या एक ऐसी घटना रही जिसने पूरी पांडव सेना को हिला कर रख दिया।
कहते हैं कि अभिमन्यु को चक्रव्यूह में शामिल होना आता था लेकिन वे इससे बाहर निकलने की कला नहीं जानते थे। वे जब कुरुक्षेत्र में वीरगति को प्राप्त हुए तो उनकी उम्र केवल 16 साल थी। अभिमन्यु के अलावा पूरी पांडव सेना में एक मात्र अर्जुन ही थे जो चक्रव्यूह को भेदना और उससे बाहर निकलना भी जानते थे। वे लेकिन युद्ध करते-करते बहुत दूर निकल चुके थे।
ऐसे में उनकी गैरमौजूदगी में भीम, नकुल सहित दूसरे पांडव महारथी अभिमन्यु की मदद के लिए चक्रव्यूह में उनके साथ प्रवेश कर सकते थे और उनकी जान बचा सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। आखिर क्यों, जानिए इससे जुड़ी कहानी।
Mahabharat: अभिमन्यु की हत्या की कहानी
पांडवों को जब सूचना मिली कि द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह का निर्माण किया है तो सभी सोच में पड़ गए। अर्जुन दूर निकल चुके थे। ऐसे में सवाल था कि चक्रव्यूह को कौन भेदेगा। आखिर में अभिमन्यु इसके लिए तैयार हुए। कहते हैं कि जब अभिमन्यु अपनी मां सुभद्रा के गर्भ में थे तब किसी प्रसंग के बारे में बातचीत करते हुए अर्जुन पत्नी सुभद्रा को चक्रव्यूह भेदने के बारे में बता रहे थे।
मां के गर्भ से इस बातचीत को सुनते हुए अभिमन्यु ने चक्रव्यूह भेदने की कला सीख ली थी लेकिन अर्जुन इससे पहले चक्रव्यूह से बाहर निकलने की बात बताते, सुभद्र सो गईं और इसलिए बात अधूरी रह गई अभिमन्यु भी इसे सुन नहीं सके।
बहरहाल, महाभारत की लड़ाई में ये तय हुआ कि अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदेंगे और फिर उनके साथ-साथ भीम, नकुल, सहदेव आदि भी चक्रव्यूह में दाखिल हो जाएंगे और सफलता हासिल कर लेंगे। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। अभिमन्यु तो एक के बाद एक सैनिकों की 7 दीवार पार कर अंदर चले गये लेकिन जयद्रथ ने अकेले ही सभी पांडवों को बाहर रोक लिया। इस तरह अभिमन्यु चक्रव्यूह के अंदर अकेले पड़ गये और कई कौरव महारथियों ने एक साथ मिलकर उनकी हत्या की।
Mahabharat: अभिमन्यु के साथ चक्रव्यूह में क्यों नहीं जा सके भीम
इसकी कहानी महाभारत युद्ध से पहले से जुड़ी है। जयद्रथ सिंधु देश का राजा था और उसका विवाह दुर्योधन की बहन दुशाला से हुआ था। ऐसे में वह पांडवों सहित कौरवों का रिश्तेदार था। कथा के अनुसार पांडव जब चौसर के खेल में अपना सबकुछ हारकर 12 साल का वनवास काट रहे थे, उस समय एक बार उनका सामना जयद्रथ से हुआ। जयद्रथ एक दिन उसी जंगल से गुजर रहा था जहां पांडव रह रहे थे।
दिन का समय था और पांडवों की पत्नी द्रौपदी नदी किनारे से लौट रही थीं। इसी दौरान जयद्रथ ने द्रौपदी को अकेला देखा तो उन्हें अपनी बातों में फुसलाने और अपने साथ ले जाने की बात करने लगा। द्रौपदी ने पहले एक-दो बार चेतावनी दी लेकिन जयद्रथ नहीं माना और द्रौपदी का हरण कर लिया।
पांडवों को जब इस बात की सूचना मिली तो वे जयद्रथ का पीछा करने लगे और उसे बीच रास्ते में रोक दिया। भीम तो इतने गुस्से में थे कि वे जयद्रथ का वध करना चाहते थे। लेकिन अर्जुन ने उसके दुशाला का पति होने के कारण भीम को ऐसा करने से रोक दिया। भीम इस पर भी नहीं माने और उन्होंने जयद्रथ के बाल मूंड दिये और पांच चोटियां छोड़ दी।
पांडवों से इस तरह पराजित होने के बाद जयद्रथ अपमानित महसूस कर रहा था। जयद्रथ ने इसके बाद भगवान शिव की घोर तपस्या की और पांडवों पर जीत हासिल करने का वरदान मांगने लगा। भगवान शिव उसकी तपस्या से खुश थे। भगवान शिव ने कहा कि पांडवों से जीतना या उन्हें मारना किसी के बस में नहीं है लेकिन जीवन में एक दिन वह किसी युद्ध में अर्जुन को छोड़ बाकी सभी भाईयों पर भारी पड़ेगा।
जयद्रथ को मिला यही वरदान अभिमन्यु के मृत्यु का कारण बना। अभिमन्यु युद्ध करते- करते चक्रव्यूह में प्रवेश कर गये। हालांकि, उनके पीछे भीम सहित बाकी तीन पांडव भाई उसमें प्रवेश नहीं कर सके। इसके बाद अगले दिन अर्जुन ने जयद्रथ का वध किया।