ज़िंदा रहते हुए भी खुद का श्राद्ध करते हैं नागा साधु, भीक्षा मांगकर बिताते हैं जीवन, जानें 10 रहस्यमयी बातें

By गुलनीत कौर | Published: January 5, 2019 11:19 AM2019-01-05T11:19:46+5:302019-01-05T11:19:46+5:30

नागा साधुओं को भगवान शिव के सच्चे भक्त के रूप में संबोधित किया जाता है। ये साधु कुंभ मेले के दौरान भारी संख्या में दिखते हैं। कड़ाके की ठंड में ये साधु निर्वस्त्र घूमते हैं। शरीर पर केवल भस्म लगाते हैं।

Maha kumbh, Ardha Kumbh, Sinhastha Kumbh Prayagraj: Life of a Naga Sadhu, history, interesting facts | ज़िंदा रहते हुए भी खुद का श्राद्ध करते हैं नागा साधु, भीक्षा मांगकर बिताते हैं जीवन, जानें 10 रहस्यमयी बातें

ज़िंदा रहते हुए भी खुद का श्राद्ध करते हैं नागा साधु, भीक्षा मांगकर बिताते हैं जीवन, जानें 10 रहस्यमयी बातें

महाकुंभ, अर्धकुंभ और सिंहस्थ कुंभ में एक समानता है, वह है इन धार्मिक मेलों में आने वाले नागा साधु। कुंभ के दौरान ही नागा साधु बनाने की प्रक्रिया आरम्भ की जाती है। कुंभ मेले में संतों के विभिन्न अखाड़े होते हैं जहां ये नागा साधु जप, तप करते हुए देखे जा सकते हैं। कुछ साधु वर्षों की तपस्या के पश्चात कुंभ का हिस्सा बनते हैं तो कुछ उसी कुंभ से नागा साधु बनने का अपना सफर प्रारंभ करते हैं। आइए आपको नागा साधुओं की बेहद दिलचस्प बातें और कैसे उन्हें नागा साधु बनाया जाता है, विस्तार से बताते हैं। साथ ही जानें नागा साधुओं का जीवन, वे कहाँ से आते हैं और कुंभ के बाद कहाँ चले जाते हैं। 

कौन हैं नागा साधु?

नागा साधुओं को भगवान शिव के सच्चे भक्त के रूप में संबोधित किया जाता है। ये साधु कुंभ मेले के दौरान भारी संख्या में दिखते हैं। कड़ाके की ठंड में ये साधु निर्वस्त्र घूमते हैं। शरीर पर केवल भस्म लगाते हैं और शिव के नाम का रुद्राक्ष धारण कर शिव उपासना में लीन रहते हैं।

कैसे बनते हैं नागा साधु?

नागा साधु बनने की प्रक्रिया भारतीय सेना के जवान बनने की प्रक्रिया से भी अधिक कठिन होती है। नागा साधु बनने के लिए सबसे पहले व्यक्ति को अपना घर, परिवार हमेशा के लिए भूलना पड़ता है। नागा अखाड़े के साथ रहना पड़ता है। किन्तु अखाड़े में दाखिला मिलने से पहले व्यक्ति के बैकग्राउंड को चेक किया जाता है। हरी झंडी मिलने के बाद ही वह अगले पड़ाव पर जा सकता है।

पिंडदान कर बनते हैं नागा साधु

अखाड़े में दाखिल होने के बाद सबसे पहले व्यक्ति को ज़िंदा होते हुए भी अपना श्राद्ध करना होता है। वह खुद अपने हाथों अपना पिंडदान करता है। पूर्ण ब्रहाम्चर्या का पालन करता है और आने वाले 12 वर्षों तक जप, तप करता है। 12 वर्षों के बाद आने वाले कुंभ मेले में ही उसे नागा साधु बनाया जाता है। यदि इस बीच उससे कोई भूल हो जाए तो उसे अखाड़े से बर्खास्त कर दिया जाता है। 

पहले तीन साल संतों की सेवा

पिंडदान करने के पश्चात व्यक्ति का असली परीक्षा प्रारंभ होती है। इस दौरान उसे आने वाले तीन सालों तक अखाड़े के गुरुओं की सेवा करनी होती है। इसमें यदि वह सफल हो जाए तो इसके बाद अखाड़े द्वारा सन्यासी से महापुरुष बनाने की दीक्षा प्रदान की जाती है।

मुंडन दान किया जाता है

इस दौरान मुंडन दान करके 108 बार पवित्र नदी में डुबकी लगवाई जाती है। यहां से फिर अखाड़े के गुरुओं की सेवा की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है। इसमें सफलता पाने के बाद महापुरुष से अवधूत बनाने की प्रक्रिया को शुरू किया जाता है। इसमें साधु का जनेऊ संस्कार करते हैं। फिर डंडी संस्कार कर रात भर 'ॐ नमः शिवाय' का जाप कराया जाता है।

दिगंबर, श्रीदिगंबर साधु

अंतिम परीक्षा में दिगंबर और श्रीदिगंबर साधु बनाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है। इसमें दिगंबर साधु को लंगोट पहनकर जप, तप एवं भ्रमण करना होता है। किन्तु श्रीदिगंबर साधु निर्वस्त्र ही घूमते हैं। इस कठिन परीक्षा के दौरान श्रीदिगंबर साधु की इंद्री भी तोड़ दी जाती है। 

शरीर पर लगती है मुर्दों की राख

12 वर्षों के सफल तप के बाद कुंभ के अखाड़े में इन श्रीदिगंबर साधुओं को नागा साधु बनाया जाता है। इस दौरान इनके शरीर पर मुर्दों की राख को मला जाता है। पहले राख का शुद्धिकरण होता है और फिर यह भस्म पूरे शरीर पर लगाया जाता है।

कुंभ मेले में नागा साधु

कुंभ मेले में नागा साधु अखाड़ों के बीच रहते हैं। संत समाज में कुल 13 अखाड़े होते हैं जिनमें से 7 नागाओं के होते हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं - जूना, महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आनंद और आवाहन अखाड़ा। ये सातों अखाड़े नागा बनाते हैं। 

कहाँ से आते हैं, कहाँ चले जाते हैं ये नागा साधु?

कुंभ मेले में लाखों की संख्या में नागा साधु आते हैं, किन्तु मेला समाप्त होते ही ये साधु नाजाने कहाँ चले जाते हैं। इनमें से अधिकतर साधु पहाड़ों पर रहते हैं। वहां भी ये साधु निर्वस्त्र ही घूमते हैं। पेट भरने के लिए ये साधु दिन में कुल 7 घरों से भीख मांगते हैं। यदि इन्हें सातों घरों से कुछ ना मिले तो भूखे ही सो जाते हैं।

बेहद कठिन है इनका जीवन

नागा साधु गृहस्थ जीवन से दूर रहते हैं। इनके खुद के परिवार से इनका नाता तोड़ दिया जाता है। ये भूल से भी उनसे मिल नहीं सकते हैं। पेट भरने के लिए कोई काम नहीं कर सकते हैं केवल भीख एवं दक्षिणा से ही अपना पेट भर सकते हैं। ये शिव के अलावा किसी भी अन्य देवता को नहीं मानते हैं। 

Web Title: Maha kumbh, Ardha Kumbh, Sinhastha Kumbh Prayagraj: Life of a Naga Sadhu, history, interesting facts

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