Maa Annapurna: कौन हैं मां अन्नपूर्णा देवी, क्या है उनका काशी से नाता?
By रुस्तम राणा | Published: November 15, 2021 08:49 AM2021-11-15T08:49:39+5:302021-11-15T08:50:08+5:30
मां अन्नपूर्णा कौन हैं? काशी से उनका नाता क्या है? हिन्दू धर्मशास्त्रों में उनके बारे में क्या कहा गया है? आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
लगभग सौ साल पहले काशी से चोरी गई मां अन्नपूर्णा की मूर्ति कनाडा से काशी आई है, जिसकी आज पुनः प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को पुनर्स्थापित करेंगे। मां को बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह के ठीक बगल में विराजमान किया जाएगा।
कौन है मां अन्नपूर्णा देवी?
स्कंदपुराण के काशीखंड में मां अन्नपूर्णा के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है जिसमें मां के स्वरूप का वर्णन कुछ इस प्रकार से मिलता है- 'मां अन्नपूर्णा' का रूप काफी मनमोहक और सुंदर है। वे मां दुर्गा का ही एक रूप हैं, जो कि अपने भक्तों से बहुत प्रेम करती हैं। 'मां अन्नपूर्णा' अन्न की देवी हैं, इन्हीं के आशीष से पूरे विश्व में भोजन का संचालन होता है। उन्हें 'मां शाकुम्भरी' के नाम से भी जाना जाता है।
काशी से क्या है मां अन्नपूर्णा का नाता?
शास्त्रों के अनुसार मां अन्नपूर्णा ने मां पार्वती के रूप में भगवान शिव से विवाह किया था। शिवजी कैलाश पर्वत के वासी थे। लेकिन हिमालय की पुत्री पार्वती को कैलाश यानी कि अपने मायके में रहना पसंद नहीं आया इसलिए उन्होंने काशी, जो कि भोलेनाथ की नगरी कही जाती है, वहां रहने की इच्छा जाहिर की, जिसके बाद शिवजी उन्हें काशी ले आए। इसलिए काशी ही मां अन्नपूर्णा की नगरी कही जाती है। इसलिए कहा जाता है विश्वनाथ की नगरी में कोई भी भूखा नहीं रहता है। काशी में ही 'मां अन्नपूर्णा' का सुंदर मंदिर हैं, जो कि अन्नकूट के दिन खुलता है और यहां उस दिन 56 तरह के भोग लगते हैं।
मां 'अन्नपूर्णा' की आरती
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम
जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम ।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम ।
सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
चूमहि चरण चतुर चतुरानन, चारु चक्रधर श्याम ।
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर, शोभा लखहि ललाम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
देवि देव! दयनीय दशा में, दया-दया तब नाम ।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल, शरण रूप तब धाम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या, श्री क्लीं कमला काम ।
कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी, वर दे तू निष्काम ॥
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम ।
॥ माता अन्नपूर्णा की जय ॥