गुरु पूर्णिमा के दिन ही इस बार खण्डग्रास चंद्र ग्रहण भी, जानिए कब कर सकते हैं आप गुरु पूजा
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 10, 2019 08:28 AM2019-07-10T08:28:56+5:302019-07-10T08:29:17+5:30
भारतीय परंपरा में गुरु -शिष्य परंपरा हजारों वर्ष पुरानी रही है तथा इसी परंपरा में चंद्रग्रहण मंगलवार, 16 जुलाई को मध्यरात्रि उपरांत लग रहा है. सूतक को लेकर शंका-कुशंकाएं बनी हुई हैं कि- सूतक में गुरु -शिष्य परंपराओं का निर्वाह कैसे हो? पूजा कैसे हो ? इस संबंध में महाराष्ट्र के अकोला में पौरोहित्य संघ की सभा दर्याव मंदिर पुराना कपड़ा बाजार में आयोजित की गई. चंद्रग्रहण का सूतक 9 घंटे पूर्व होता है. इसके अनुसार 16 जुलाई को सायं 4.31 बजे से सूतक लगेगा. चंद्रग्रहण रात 1. 31 बजे से लगेगा तथा महाराष्ट्र पंचांग के अनुसार ग्रहण रात (तड़के) 4.49 बजे समाप्त होगा.
सम्राट पंचाग के सूक्ष्म गणित के अनुसार ग्रहण उपच्छाया रात 12.12 बजे एवं ग्रहण उपच्छाया का अंत तड़के 5.49 बजे होगा. ग्रहण का मुख्य समय मध्यरात्रि 1. 31 से तड़के 4.29 बजे तक रहेगा. ऐसे में गुरु पूजा आदि दोपहर 4. 31 बजे से पहले करना उचित रहेगा. इस सभा में पं. हेमंत शर्मा, पं.अजय शर्मा, लाला तिवारी, मोहन शर्मा, विमल व्यास, भैरव शर्मा, सचिन शर्मा, सुमित तिवारी एवं पं. रविकुमार शर्मा उपस्थित थे.
बता दें कि यह इस साल (2019) का दूसरा चंद्र ग्रहण है. ऐसे में ग्रहों को लेकर कई दिलचस्प संयोग बन रहे हैं. 16 जुलाई को ही गुरु पूर्णिमा है और फिर अगले दिन यानी 17 जुलाई से श्रावन का पावन महिना शुरू हो रहा है. ऐसे में 149 सालों बाद ऐसा मौका बन रहा है जब गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार चंद्र ग्रहण के समय राहु और शनि चंद्रमा के साथ धनु राशि में होंगे. इससे ग्रहण का प्रभाव और बढ़ेगा. साथ ही सूर्य और चंद्र चार विपरीत के ग्रह शुक्र, शनि, राहु और केतु के घेरे में रहेंगे.
इससे पहले 1870 में ऐसा हुआ था जब गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण पड़ा था. उस साल तब 12 और 13 जुलाई के बीच की रात को चंद्र ग्रहण पड़ा था. उस समय भी चंद्रमा शनि, राहु और केतु के साथ धनु राशि में था। साथ ही सूर्य और राहु एक साथ मिथुन राशि में प्रवेश कर गए थे.