कोजागिरी पूर्णिमा 2018: कल है शरद पूर्णिमा, इस खास मंत्र की खास समय पर पूजा करने से मिलेगा लाभ
By मेघना वर्मा | Published: October 23, 2018 10:20 AM2018-10-23T10:20:39+5:302018-10-23T10:20:39+5:30
Kojagiri Purnima 2018(कोजागिरी/शरद पूर्णिमा 2018) Date & Time, Significance, Puja vidhi in Hindi:जानकारों के मुताबिक कोजगारी पूर्णिमा के दिन चांद अपनी 16 कलाओं को पार करके आसमान से अमृत की वर्षा करता है।
हिन्दू मान्यताओं में पूर्णिमा को बेहद खास माना जाता है। हर महीने आने वाली इस पूर्णिमा पर बहुत से लोग व्रत रखते हैं साथ ही मां गंगा का स्नान करने भी जाते हैं परन्तु अश्विन मास के शुक्ल पक्ष पर पड़ने वाली कोजागिरी पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार ये पूर्णिमा सभी पूर्णिमा से बड़ी होती है। साथ ही इसी दिन आसमान में चांद की रोशनी से अमृत गिरता है जिसे पाने वाले लोग कई तरह की बिमारियों से बच जाते हैं। आप भी जानिए क्या है कोजागिरी पूर्णिमा और क्या है इसका महत्व।
23 अक्टूबर को है कोजागिरी पूर्णिमा
कोजागिरी पूर्णिमा इस साल 23 अक्टूबर को पड़ रही है। पुराणों के अनुसार इसी दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि समुद्र मंथन से ही मां लक्ष्मी उत्पन्न हुई थी। इस रात चांद अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होकर आकाश से अमृत की वर्षा करता है।
कथा तो ये भी प्रचलित है कि इसी दिन वैभव की देवी लक्ष्मी अपने पति श्रीहरि के साथ पृथ्वीलोक पर भ्रमण करने आती हैं। यही कारण है कि कोजागिरी पूर्णिमा पर विशेष तरह की पूजा-अर्चना की जाती है।
श्रीकृष्ण ने मचाया था महारास
श्रीमद्धभागवत गीता के अनुसार कोजगारी पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। बताया जाता है कि इसी दिन कृष्ण ने अपनी जादूई बंसी बजाकर वृंदावन की सभी गोपियों को सम्मोहित कर दिया था। सारी गोपियां उनकी तहफ खिंची चली आई थी। जिसके बाद कृष्ण ने सभी के साथ पूरी रात नाचते रहे, मिलकर महारास रचाया था।
ओडिशा में कुमार पूर्णिमा
कोजागिरी पूर्णिमा को देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है। ओडिशा में कोरजागिरी पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा भी कहा जाता है। यहां की कुंवारी लड़कियां इस दिन सुयोग्य वर के लिए भगवान कार्तिकेय की पूजा करती हैं। दिन भर व्रत रखने के बाद शाम को चांद की पूजा करके लड़कियां व्रत खोलती हैं। यही कारण है कि इस कोजागिरी पूर्णिमा को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
शरद पूर्णिमा पर इसलिए खाते हैं खीर
जानकारों के मुताबिक कोजगारी पूर्णिमा के दिन चांद अपनी 16 कलाओं को पार करके आसमान से अमृत की वर्षा करता है। यही कारण से लोग इस दिन चांद की रोशनी में खीर बनाकर रखते हैं। थोड़ी देर इस खीर को चांद की रोशनी में रखने के बाद उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि इस कोजगारी पूर्णिमा में खीर खाने से सांस संबंधी बीमारियों से राहत मिलती है।
ये है पूजा-विधि
* सुबह स्नान के बाद मंदिर की सफाई करें। माता लक्ष्मी और श्रीहरि की पूजा करें।
* भगवान विष्णि की प्रतिमा की स्थापना करें। तांबे और मिट्टी के बर्तन में कलश पर वस्त्र से ढंके और स्वर्णीय मूर्ती की स्थापना करें।
* प्रतिमा के सामने घी का दिया जलाएं और अक्षत और तिलक लागाएं।
* शाम के समय चांद निकलने पर मिट्टी के 100 दीये जलाएं।
* खीर बनाकर चांद की रोशनी में रखें और कुछ देर बाद उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
इस एक जाप से पाएं कृपा
कोजगारी पूर्णिमा के दिन खीर को कई छोटे ब्रतन में भरकर छलनी से ढकें और चांद की रोशनी में रख दें। रात 3 बजे तक इसे आसमान के नीचे ही रहने दें। सुबह ब्रह्म मुहूर्त यानी 3 बजे और सहस्त्रनाम जाप करें साथ ही श्रीसूक्त का पाठ कर भगवान मधुराष्टकम और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। मान्यता है कि भगवान कृष्ण की पूजा करने से लाभ होता है। साथ ही भगवान लक्ष्मी की पूजा भी करें।