कार्तिक पूर्णिमा: हिन्दू, सिख, जैन सभी मनाते हैं कार्तिक महीने की पूर्णिमा, जानें वजह

By गुलनीत कौर | Published: November 22, 2018 07:33 AM2018-11-22T07:33:39+5:302018-11-22T07:33:39+5:30

कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक एक राक्षस का वध किया था। इस राक्षस का उस समय तीनों लोगों में आतंक था। सभी देवता इसके प्रकोप से परेशान थे।

Kartik Purnima: Importance, significance of Kartik Purnima, How Hindu, Sikh, Jain celebrate Kartik Purnima | कार्तिक पूर्णिमा: हिन्दू, सिख, जैन सभी मनाते हैं कार्तिक महीने की पूर्णिमा, जानें वजह

कार्तिक पूर्णिमा: हिन्दू, सिख, जैन सभी मनाते हैं कार्तिक महीने की पूर्णिमा, जानें वजह

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार दिवाली से ठीक 15 दिन बाद आती है कार्तिक पूर्णिमा। यूं तो हर महीने पूर्णिमा आती है परंतु कार्तिक महीने की इस पूर्णिमा का महत्व अन्य पूर्णिमा तिथियों से कुछ बढ़कर होता है। पुराणों में इसे 'देव दिवाली' के नाम से जाना गया है। इस साल 23 नवंबर, दिन शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा है। 

बनारस में देव दिवाली धूमधाम से मनाई जाती है। मगर इस पर्व की चमक केवल बनारस ही नहीं, देश के कई हिस्सों में दिखाई देती है। दरअसल कार्तिक पूर्णिमा हिन्दू धर्म के अलावा जैन धर्म और सिख धर्म के लोग भी मनाते हैं। इन सबके पीछे एक खास कारण और कहानी छिपी है। आइए जानते हैं:

हिन्दू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा

हिन्दू धर्म में कार्तिक महीने की पूर्णिमा को देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है। इसके पीछे दो कारण होते हैं। कार्तिक महीने से ठीक 4 महीने पहले भगवान विष्णु निद्राकाल में चले जाते हैं। मगर दिवाली के दिन उनकी अर्धांगिनी लक्ष्मी जी उठ जाती है, इसलिए उनकी इसदिन पूजा की जाती है। 

कार्तिक पूर्णिमा से कुछ दिन पहले ही देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु भी निद्रा से जाग जाते हैं। माना जाता है कि विष्णु के जागने की खुशी में सभी देवता स्वर्ग से उतारकर बनारस के घाटों पर दीपोत्सव मनाते हैं।

एक अन्य कहानी के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक एक राक्षस का वध किया था। इस राक्षस का उस समय तीनों लोगों में आतंक था। सभी देवता इसके प्रकोप से परेशान थे। देवताओं की समस्या का समाधान करने हेतु भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा को ही त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया। इस खुशी में देवलोक में डीप जाए गए और देव दिवाली मनाई गई।

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जैन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा

जैन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का दिन अत्यधिक महवपूर्ण होता है। इस पर्व की महत्ता के पीछे तीन मुख्य कारण हैं। पहला यह कि इसी दिन से प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल गिरिराज की यात्रा प्रारंभ होती है।

इसके अलावा इस दिन से जैन साधू-साध्वी भी अपनी विहार यात्रा शुरू करते हैं। यह दिन जैन धर्म में महान संत श्रीमद विजय हेमचंद्राचारी भगवंती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इन तीन कारणों के चलते जैन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का खास महत्व है। 

सिख धर्म में कार्तिक पूर्णिमा

सिख समुदाय के लिए कार्तिक पूर्णिमा का दिन उनके सभी पर्वों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि इसीदिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म हुआ था। कार्तिक पूर्णिमा की काली अंधेरी रात को ननकाना साहिब (पाकिस्तान) में पिता महता कालू और माता तृप्ता जी के घर एक पुत्र ने जन्म लिया जो आगे चलकर सिख धर्म के पहले गुरु बने।

सिख अमुदाय के लोग कार्तिक पूर्णिमा पर गुरु नानक के नाम का पाठ, कीर्तन करते हैं। बड़े आयोजन के साथ जगह जगह लंगर की सेवा की जाती है। गुरु नानक के जन्म स्थल नन्काना साहिब समेत भारत में भी इसदिन सभी गुरुद्वारों में श्रद्धालुओं की भारी संख्या देखने को मिलती है। 

Web Title: Kartik Purnima: Importance, significance of Kartik Purnima, How Hindu, Sikh, Jain celebrate Kartik Purnima

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