Kartik Maas 2020: आज से शुरू हो रहा है कार्तिक महीना, तुलसी पूजा का होता है विशेष महत्व, इन बातों का रखें ध्यान

By गुणातीत ओझा | Published: November 1, 2020 08:24 AM2020-11-01T08:24:15+5:302020-11-01T08:24:15+5:30

शरद पूर्णिमा के बाद आज यानि 1 नवंबर से कार्तिक का पावन महीना शुरू हो गया है। शास्त्रों में वर्णित है कि कार्तिक महीने में भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं।

Kartik Maas 2020: Kartik month starts today 1st november know significance of Tulsi Puja in this month | Kartik Maas 2020: आज से शुरू हो रहा है कार्तिक महीना, तुलसी पूजा का होता है विशेष महत्व, इन बातों का रखें ध्यान

आज से शुरू हो रहा है कार्तिक मास, जान लें ये जरूरी बातें।

Highlightsशरद पूर्णिमा के बाद आज यानि 1 नवंबर से कार्तिक का पावन महीना शुरू हो गया है। शास्त्रों में वर्णित है कि कार्तिक महीने में भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं।

Kartik Month 2020: शरद पूर्णिमा के बाद आज यानि 1 नवंबर से कार्तिक का पावन महीना शुरू हो गया है। शास्त्रों में वर्णित है कि कार्तिक महीने में भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं। यही कारण है कि इस महीने सूर्योदय से पहले स्नान करने शुभ फल बताया गया है। कार्तिक महीने में तुलसी पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है। इस पूरे महीने में मां तुलसी के पास दीपक जलाकर उनकी आराधना की जाती है।

मान्यता है कि कार्तिक मास में मां तुलसी की पूजा से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है। इस महीने चांद-तारों की मौजूदगी में सूर्योदय से पूर्व ही स्नान करने पुण्य मिलता है। इस महीने तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है, मान्यता है कि तुलसी विवाह करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। तुलसी विवाह से घर में सुख-समृद्धि आती है और घर से नकारात्मकता दूर चली जाती है। तुलसी विवाह के दिन गमले में लगी तुलसी जी के चारों ओर ईख का मण्डप बनाया जाता है। उसके ऊपर ओढ़नी या सुहाग प्रतीक चुनरी ओढ़ाते हैं। अगर आप मां तुलसी की पूजा करने जा रहे हैं तो पूजा के इन नियमों को जरूर जान लें...

-ध्यान रखें कि तुलसी पत्र को बिना स्नान किए नहीं तोड़ना चाहिए। 

-कभी भी शाम को तुलसी के पत्तों को तोड़ना नहीं चाहिए।  पूर्णिमा, अमावस्या, द्वादशी, रविवार व संक्रान्ति के दिन दोपहर दोनों संध्या कालों के बीच में तथा रात्रि में तुलसी के पत्ते को नहीं तोड़ना चाहिए।

-किसी के जन्म के समय और मुत्यु के समय घर में सूतक लग जाते हैं, ऐसे में तुलसी को नहीं ग्रहण करें। क्योंकि तुलसी श्री हरि के स्वरूप वाली ही हैं।

-तुलसी को दांतों से चबाकर नहीं खाना चाहिए।

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