करतारपुर दरबार साहिब सिख श्रद्धालुओं के लिए क्यों है खास, क्या है इसका ऐतिहासिक महत्व, जानिए
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 14, 2019 03:37 PM2019-07-14T15:37:04+5:302019-07-14T15:37:04+5:30
करतारपुर साहिब को सिख धर्म के संस्थापक गुरू नानक देव ने 1522 में स्थापित किया था। करतारपुर साहिब सिखों के प्रथम गुरु, गुरुनानक देव जी का अंतिम निवास स्थान भी रहा है।
भारत और पाकिस्तान में पिछले कुछ वर्षों में करतारपुर कॉरिडोर का मुद्दा बेहद चर्चित रहा है। करतारपुर पाकिस्तान में स्थित है और सिख श्रद्धालुओं के लिए इसका महत्व बहुत ज्यादा है। यही कारण है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सिख श्रद्धालुओं के लिए एक खास गलियारे की बात होती रही है।
योजना के अनुसार यह गलियारा सिख श्रद्धालुओं के लिए गुरदासपुर जिला स्थित डेरा बाबा नानक साहिब से पाकिस्तान के करतारपुर स्थित गुरूद्वारा दरबार साहिब तक जाना सुगम बनाएगा। वे इस गलियारे के माध्यम से बिना वीजा के आवागमन कर सकेंगे। उन्हें करतारपुर साहिब जाने के लिए केवल एक परमिट लेना होगा। भारत की ओर लगातार मांग उठाने और इस संबंध में कई चरणों की बात के बाद पाकिस्तान ने भी सकारात्मक रवैया दिखाया है।
करतारपुर साहिब का महत्व क्या है
करतारपुर साहिब को सिख धर्म के संस्थापक गुरू नानक देव ने 1522 में स्थापित किया था। करतारपुर साहिब सिखों के प्रथम गुरु, गुरुनानक देव जी का अंतिम निवास स्थान भी रहा है। यह जगह पाकिस्तान के नरोवाल जिले में स्थित है। नानक जी ने अपनी जिंदगी के आखिरी करीब 18 साल यहीं अपने परिवार संग गुजारे थे। यही वजह है कि सिखों के लिए ये बेहद ही पवित्र स्थानों में से एक है। नानक जी का निधन करतारपुर में 1539 में हुआ।
करतारपुर को गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक साहिब से दूरबीन से देखा जा सकता है। कई श्रद्धालु जो पाकिस्तान जाने में असमर्थ होते हैं वे गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक साहिब में लगे दूरबीन से करतारपुर साहिब के दर्शन करते हैं। 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान करतारपुर को सिख यात्रियों के लिए खोलने को लेकर काफी कोशिश की गई और 1999 में इसे तीर्थयात्रियों के लिए खोला गया।
भारतीय सिख श्रद्धालु पाकिस्तान में स्थित करतारपुर में वीजा के जरिये जा सकते हैं। हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया को और आसान बनाने और ऐसे गलियारे की बात हो रही है जिसके जरिये सिख श्रद्धालु सीधे करतारपुर जा सकेंगे। सिख श्रद्धालु मुख्य तौर पर चार मौकों पर करतारपुर साबिब जाते हैं। इसमें गुरु नानक की जयंती, बैशाखी, गुरु अर्जन देव का शहीदी दिवस और महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि जैसे मौके शामिल हैं। इस साल गुरु नानक जी की जयंती के 550 साल पूरे होने जा रहे हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि इस पावन मौके पर करतारपुर कॉरिडोर पूरी तरह से शुरू हो जाएगा।