कर्मनाशा नदी: शापित है बिहार-यूपी में बहने वाली ये नदी, पानी छूने से डरते हैं लोग, चौंकाने वाली है इसके पीछे की वजह

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 26, 2019 04:02 PM2019-06-26T16:02:55+5:302019-06-26T16:02:55+5:30

बिहार के कैमूर जिले से निकलने वाली कर्मनाशा नदी यूपी के सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी और गाजीपुर से होकर बहती है और बक्सर के पास गंगा में मिल जाती है।

karmanasa river history the cursed river of india story significance and myths | कर्मनाशा नदी: शापित है बिहार-यूपी में बहने वाली ये नदी, पानी छूने से डरते हैं लोग, चौंकाने वाली है इसके पीछे की वजह

कर्मनाशा नदी के शापित होने की कहानी

Highlightsकर्मनाशा नदी को शापिद नदी के तौर पर देखा जाता हैकर्मनाशा का पानी भी छूने से डरते हैं लोग, गंगा में जाकर मिल जाती है ये नदी

भारत में जिस तरह गंगा को सबसे पवित्र नदी माना जाता है, वैसे ही यहां एक ऐसी नदी भी है जिसके पानी को भी छूने से लोग डरते हैं। गंगा के ठीक उलट इसके बारे में कहा जाता है कि इस नदी का पानी छूने से काम बिगड़ जाते हैं और आपके अच्छे कर्म भी मिट्टी में मिल जाते हैं। इस नदी का नाम कर्मनाशा है। कर्मनाशा दो शब्दों से बना है, कर्म- यानी काम और नाशा मतलब- नाश होना। 

वैसे, दिलचस्प ये भी है कि यही नदी बाद में गंगा में जाकर मिल जाती है। कर्मनाशा नदी को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन समय में कर्मनाशा नदी के किनारे रहने वाले लोग इसके पानी से भोजन बनाने से भी परहेज करते थे और फल खाकर गुजारा करते थे।

बिहार के कैमूर से निकलती है कर्मनाशा नदी

बिहार के कैमूर जिले से निकलने वाली कर्मनाशा नदी बिहार और उत्तर प्रदेश में बहती है। यह एक तरह से बिहार और यूपी को बांटती भी है। कर्मनाशा नदी यूपी के सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी और गाजीपुर से होकर बहती है और बक्सर के पास गंगा में मिल जाती है। इस नदी के बारे में माना जाता है कि जो भी इस नदी का पानी छूता है तो उसके बने-बनाये काम बिगड़ जाते हैं। इस नदी की लंबाई करीब 192 किलोमीटर है। इस नदी का 116 किलोमीटर का हिस्सा यूपी में आता है जबकि बचे हुए 76 किलोमीटर बिहार और यूपी को बांटते हैं।

कर्मनाशा नदी के प्रकट होने की कहानी

इस नदी को लेकर प्रचलित एक पौराणिक कथा के अनुसार राजा हरिशचंद्र के पिता सत्यव्रत बेहद पराक्रमी थी। उन्होंने एक बार अपने गुरु वशिष्ठ से सशरीर स्वर्ग में जाने की इच्छा व्यक्त कर दी। गुरु वशिष्ठ ने ऐसा करने से मना कर दिया। इसके बाद नाराज सत्यव्रत विश्वामित्र के पास चले गये और यही बात दोहराई। साथ ही उन्होंने वशिष्ठ के मना करने की बात भी बताई।

वशिष्ठ से शत्रुता के कारण विश्वामित्र राजा सत्यव्रत को स्वर्ग में भेजने के लिए तैयार हो गये। विश्वामित्र ने अपने तप के बल पर यह काम कर दिया। इसे देख इंद्र क्रोधित हो गये और उन्हें उलटा सिर करके वापस धरती पर भेज दिया। विश्वामित्र ने हालांकि अपने तप से राजा को स्वर्ग और धरती के बीच रोक दिया। ऐसे में सत्यव्रत बीच में अटक गये और त्रिशंकु कहलाए।

राजा की लार से बन गई नदी

कथा के अनुसार देवताओं और विश्वामित्र के युद्ध के बीच त्रिशंकु धरती और आसमान में उलटे लटक रहे थे। इस बीच उनके मुंह से तेजी से लार टपकने लगी और यही लार नदी के तौर पर धरती पर प्रकट हुई। धारणा है कि ऋषि वशिष्ठ ने राजा को चांडाल होने का शाप दे दिया था और चूकी उनकी लार से नदी बन रही थी, इसलिए इसे शापित कहा गया। 

English summary :
Karmanasa river, which passes from Kaimur district of Bihar, flows through Sonbhadra, Chandauli, Varanasi and Ghazipur of UP and meets in Ganga near Buxar.


Web Title: karmanasa river history the cursed river of india story significance and myths

पूजा पाठ से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे