Kalashtami Vrat Date: सितंबर की कालाष्टमी दो दिन बाद, जानें क्यों होती है कालभैरव की पूजा और क्या है शुभ मुहूर्त

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 19, 2019 10:12 AM2019-09-19T10:12:29+5:302019-09-19T10:12:29+5:30

Kalashtami Vrat: कालभैरव भगवान शिव के ही एक रूप हैं। इस दिन रात में पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा करने से नकारात्मक शक्तियां आदि जीवन से दूर रहती हैं।

Kalashtami Vrat September 2019, date, puja vidhi and shubh muhurat | Kalashtami Vrat Date: सितंबर की कालाष्टमी दो दिन बाद, जानें क्यों होती है कालभैरव की पूजा और क्या है शुभ मुहूर्त

सितंबर में इस साल कालाष्टमी 21 तारीख को

Kalashtami Vrat 2019: हिंदू मान्यताओं के अनुसार हर मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन काल भैरव के उपासक उपवास रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण कालाष्टमी माघ मास में पड़ता है। इसे भैरव अष्टमी भई कहते हैं। मान्यता है कि इसी दिन शिव ने काल भैरव का रूप लिया था। इस तहर साल में 12 कालाष्टमी व्रत पड़ते हैं। कालभैरव दरअसल भगवान शिव के ही एक रूप हैं। इन्हें समय का भगवान भी कहा गया है। काल का मतलब समय और भैरव का मतलब 'शिव का अवतार' होता है।

Kalashtami Vrat Date, September 2019: सितंबर में कब है कालाष्टमी

इस साल सितंबर की कालाष्टमी 21 तारीख को है। पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि की शुरुआत रात 8.21 बजे से शुरू हो रही है और इस समाप्ति 22 सितंबर को रात 7.50 बजे होगी। ऐसे में 21 सितंब की रात पूजा करना शुभ है।

मान्यता है कि इस दिन जो साधक कालभैरव की पूजा करता है उससे नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं। साथ ही उसके जीवन में खुशियां, शांति और समृद्धि आती है। 

Kalashtami Vrat Date, September 2019: रात में पूजन का है महत्व

कालाष्टमी की मुख्य पूजा रात में ही की जाती है। काल भैरव की 16 विधियों से पूजा की जाती है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत पूरा होता है। इस दिन साधक को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए और भैरव बाबा की कथा पढ़नी चाहिए।  

काल भैरव की रात में होती है विशेष पूजा
काल भैरव की रात में होती है विशेष पूजा

ऐसा करने से भूत-पिचास, नकारात्मक शक्तियां और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं। भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता माना गया है इसलिए उसे भी खाना खिलाना शुभ होता है। काल भैरव के दिन पवित्र नदी में स्नान और पितरों का श्राद्ध और तर्पण की भी मान्यता है। काल भैरव की पूजा में काले तिल, धूप, दीप, गंध, उड़द आदि का जरूर इस्तेमाल करें। इस दिन रात को जागरण करने की भी मान्यता है।

Web Title: Kalashtami Vrat September 2019, date, puja vidhi and shubh muhurat

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