कैलाश मानसरोवर यात्रा 2019: निकल गया ड्रॉ, पहली बार आवेदन करने वाले जाएंगे पहले, जानें यात्रा के नए नियम
By उस्मान | Published: May 15, 2019 04:37 PM2019-05-15T16:37:51+5:302019-05-15T17:04:11+5:30
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2019 (Kailash Mansarovar Yatra 2019) 8 जून से शुरू हो रही है। यात्रा पर जाने की इच्छा रखनेवाले तीर्थयात्रियों के चयन के लिए कंप्यूटर के जरिए ड्रॉ निकाला गया। इसमें सॉफ्टवेयर में पहली बार आवेदन करने करने वालों को प्राथमिकी देने या वरिष्ठ नागरिकों की पसंद के मार्ग को शामिल किया गया है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2019 के लिए मंत्रालय को 2,996 आवेदन मिले। जिनमें से 2,256 आवेदनकर्ता पुरुष और 740 महिलाएं हैं। वहीं 640 वरिष्ठ नागरिकों ने भी इस यात्रा के लिए आवेदन किया है।
लिपुलेख दर्रा मार्ग के लिए प्रत्येक जत्थे में 58 यात्री होंगे और कुल 18 जत्था होगा। वहीं नाथू ला दर्रा मार्ग में 10 जत्था होगा और प्रत्येक जत्थे में 48 यात्री होंगे। प्रत्येक जत्थे में दो अधिकारी सहायता के लिए होंगे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नाथू ला मार्ग लिपुलेख मार्ग की अपेक्षा कम दुर्गम है। इसलिए वरिष्ठ यात्री नाथूला मार्ग को प्राथमिकी देते हैं। इस यात्रा में करीब 19,500 फुट तक की चढ़ाई करनी होती है।
नेपाल में भारतीय दूतावास ने इस हिमालयी देश से होकर कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने की योजना बना रहे भारतीय नागरिकों को यात्रा शुरू करने से पहले इसके लिए उचित चीनी वीजा और यात्रा परमिट प्राप्त करने को कहा है।
दूतावास ने तीर्थयात्रियों को यह सुनिश्चित करने के लिए भी सलाह दी कि ऊंचाई वाली जगहों पर जाने पर होने वाली बेचैनी, आपातकालीन चिकित्सा राहत सहित अन्य सभी उपायों के लिए उनके पास पर्याप्त बीमा कवरेज हो। परामर्श में कहा गया कि इस यात्रा के लिए नयी दिल्ली स्थित चीनी दूतावास से वीजा लिया जाना चाहिए न कि काठमांडू स्थित चीनी दूतावास से।
8 जून से 8 सितंबर तक चलेगी मानसरोवर यात्रा
विदेश मंत्रालय हर साल जून से लेकर सितंबर के बीच में इस यात्रा का आयोजन दो मार्गों लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) और नाथूला दर्रा (सिक्किम) के जरिए करता है। यह यात्रा अपने धार्मिक मूल्यों और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। इस यात्रा में हर साल सैंकड़ों लोग हिस्सा लेते हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा किराया
मंत्रालय द्वारा यात्रा के लिए गठित किया गया पहला मार्ग लिपुलेख दर्रे से होकर गुजरेगा। इस मार्ग से यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए यात्रा का कुल किराया 1.8 लाख रूपये प्रति व्यक्ति बताया गया है। इस रूट पर 60-60 लोगों के कुल 18 जत्थे जाएंगे। प्रत्येक जत्थे को 24 दिनों में अपनी यात्रा पूर्ण करनी है। यात्रा के दौरान हर व्यक्ति की सभी सुख सुविधाओं के साथ दिल्ली में तीन दिन रुकने की सुविधा भी दी जा रही है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के बारे में खास बातें (Facts About Kailash Mansarover Yatra)
1) कैलाश मानसरोवर संस्कृत के दो शब्दों को मिलाकर बना है - मानस और सरोवर, अर्थात् मन का सरोवर। इस सरोवर के ठीक पास में 'रकसताल' नाम का सरोवर है। इन्हीं दो सरोवरों की उत्तरी दिशा में स्थित है विशाल कैलाश पर्वत।
2) यह विशाल पर्वत समुद्र की सतह से तकरीबन 22 हजार फुट ऊंचा है। इसी पर्वत की सतह पर कैलाश मानसरोवर झील है जो इसकी धार्मिक महत्ता को दर्शाता है।
3) कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील, दोनों के साथ ही चार धर्म जुड़े हैं - तिब्बती बौद्ध, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, हिन्दू धर्म। तिब्बती मानते हैं कि कैलाश पर्वत पर एक तिब्बती संत ने वर्षं तपस्या की थी। पर्वत पर बनने वाला स्वास्तिक का निशान डेमचौक और दोरजे फांगमो का निवास स्थान है।
4) वहीं बौद्ध धर्म के अनुयायियों का मानना है कि कैलाश पर्वत पर भगवान बुद्ध तथा मणिपद्मा का निवास है। जैनियों के मतानुसार यह पर्वत आदिनाथ ऋषभदेव का निर्वाण स्थल है। हिन्दू धर्म के अनुसार कैलाश ब्रह्माण्ड की धुरी है और यह भगवान शिव का निवास स्थान है।
5) इन चार धर्मों के अलावा सिख धर्म के लोग भी यह मानते हैं कि उनके संस्थापक गुरु नानक ने यहाँ कुछ दिन रूककर तपस्या की थी। इसलिए उनके लिए भी कैलाश और मानसरोवर, दोनों पवित्र स्थल हैं।