Jivitputrika Vrat 2019: आज जिउतिया व्रत की होगी शुरुआत, नहाय-खाय में मछली सहित इन चीजों का है महत्व
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 21, 2019 07:17 AM2019-09-21T07:17:17+5:302019-09-21T07:17:17+5:30
Jivitputrika Vrat: पुत्र के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए किया जाने वाला यह व्रत मुख्यतौर पर बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में किया जाता है। पड़ोसी देश नेपाल के भी कई इलाकों में यह व्रत काफी लोकप्रिय है।
Jivitputrika Vrat 2019: 'जीवित्पुत्रिका' या जिउतिया व्रत आज नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। इस व्रत में महिलाएं अपने पुत्र के लंबी उम्र की कामना के लिए 24 घंटे या कई बार उससे भी ज्यादा समय तक निर्जला उपवास करती हैं। इसे जितिया व्रत भी कहते हैं। आज नहाय खाय के बाद महिलाएं कल से निर्जला उपवास शुरू करेंगी।
हालांकि, पंचांग में अंतर के कारण इस बार बिहार के मिथिलांचल समेत कई जगहों पर महिलाएं आज अपराह्न से ही उपवास शुरू कर देंगी। इस बार जितिया व्रत करने को लेकर दो अलग-अलग मत हैं। एक मत के अनुसार शनिवार को अपराह्न 3.43 से अष्टमी प्रारम्भ है और 22 सितम्बर रविवार को अपराह्न 2.49 तक है। ऐसे में अष्टमी को देखते हुए उससे पहले उपवास शुरू कर दिया जाना चाहिए और इसके खत्म होने के बाद पारण करना चाहिए।
वहीं, दूसरे मत के अनुसार अष्टमी तिथि 22 सितंबर को अपराह्न 2.39 बजे तक है। उदया तिथि अष्टमी रविवार (22 सितंबर) को ही पड़ रही है। इसके अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत का उपवास 22 सितंबर को रखना ठीक होगा और अगले दिन नवमी में पारण किया जाना चाहिए। ऐसे में तीन दिन के इस व्रत का समापन सोमवार को पारण के साथ होगा।
Jivitputrika Vrat 2019: पुत्र के लिए किया जाता है ये व्रत
पुत्र के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए किया जाने वाला यह व्रत मुख्यतौर पर बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में किया जाता है। पड़ोसी देश नेपाल के भी कई इलाकों में यह व्रत काफी लोकप्रिय है। इस व्रत को शुरू करने को लेकर अलग-अलग क्षेत्रों में खान-पान की अपनी परंपरा है।
Jivitputrika Vrat 2019: नहाय खाय पर अलग-अलग परंपरा
हिंदू मान्यताओं में पूजा-पाठ के दौरान मांसाहार को वर्जित माना गया है लेकिन बिहार के कई क्षेत्रों में जिउतिया व्रत के लिए उपवास की शुरुआत मछली खाने से होती है। इसके पीछे चील और सियार से जुड़ी जितिया व्रत की ही एक पौराणिक कथा भी है। इस कथा के आधार पर मान्यता है कि मछली खाने से व्रत की शुरुआत करनी चाहिए।
वहीं, कई जगहों पर नहाय खाय के दिन गेहूं की बजाय मरुआ के आटे की रोटी बनाने का प्रचलन है। इसे शुभ माना गया है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। साथ ही बिहार के मिथिलांचल में कई जगहों पर मरुआ के आटे की रोटी के साथ झिंगनी की सब्जी भी खाई जाती है। इस व्रत में नोनी का साग बनाने की भी परंपरा है।