Janmashtami 2021: जन्माष्टमी का त्योहार आज, जाने क्या है आधी रात को पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 30, 2021 07:32 AM2021-08-30T07:32:06+5:302021-08-30T07:34:34+5:30

Janmashtami 2021: जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का मुहूर्त रात 11 बजकर 59 मिनट से देर रात 12 बजकर 44 मिनट तक है। ऐसे में ये पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त है।

Janmashtami 2021 muhurat, puja vidh, puja samagri, krishna janm katha aarti and details | Janmashtami 2021: जन्माष्टमी का त्योहार आज, जाने क्या है आधी रात को पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त

जन्माष्टमी मुहूर्त और पूजा विधि (फाइल फोटो)

Highlightsजन्माष्टमी का त्योहार आज मनाया जा रहा है, 29 अगस्त की रात से शुरू हो चुकी है अष्टमी तिथि।श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का मुहूर्त आज रात 11 बजकर 59 मिनट से है।भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है जन्माष्टमी।

नई दिल्ली: जन्माष्टमी का त्योहार आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। मान्यताओं के अनुसार जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। ऐस कहते हैं कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। श्रीकृष्ण को ​भगवान विष्णु के आठवां अवतार कह गया है। 

जन्माष्टमी सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कई और देशों में भी एक उत्सव की ​तरह से मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन भक्त दिन भर व्रत करते हैं और फिर रात को भगवान की पूजा करते हैं और फिर प्रसाद ग्रहण करते हैं।

हिन्दू शास्त्रों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के व्रत को ‘व्रतराज’ की उपाधि दी गई है, जिसके अनुसार माना गया है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को साल भर के व्रतों से भी अधिक शुभ फल प्राप्त होते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था इसलिए भगवान के भक्त भी इस दिन आधी रात को उनका पूजन करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं।

जन्माष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र आरंभ और समापन

इस बार अष्‍टमी तिथि का प्रारंभ: 29 अगस्त 2021 रात 11:25 से
अष्‍टमी तिथि समाप्‍त: 31 अगस्त को सुबह 01:59 तक
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 30 अगस्त को सुबह 06 बजकर 39 मिनट
रोहिणी नक्षत्र समाप्‍त: 31 अगस्त को सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर
अभिजीत मुहूर्त: 30 अगस्त सुबह 11:56 से लेकर रात 12:47 तक

जन्माष्टमी पूजा शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार आज जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का मुहूर्त रात 11 बजकर 59 मिनट से देर रात 12 बजकर 44 मिनट तक है। ऐसे में ये पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त है।

जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा का विशेष महत्व है। हालांकि भक्त अपनी इच्छा के अनुसार श्रीकृष्ण के किसी भी रूप का पूजन कर सकते हैं।

भविष्य पुराण में इस व्रत के सन्दर्भ में उल्लेख है कि जिस घर में यह देवकी-व्रत किया जाता है वहां अकाल मृत्यु, गर्भपात, वैधव्य, दुर्भाग्य और कलह नहीं होती. जो एक बार भी इस व्रत को करता है वह संसार के सभी सुखों को भोगकर विष्णुलोक में निवास करता है।

जन्माष्टमी का पूजन कैसे करें

इस दिन सुबह स्नान करके भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प करें। इसके बाद दिन भर श्रद्धानुसार व्रत रखें। ये व्रत फलाहार या फिर निर्जला रहकर भी किया जा सकता है।

दिन में कान्हा के लिए भोग और प्रसाद आदि बनाएं और फिर शाम को श्रीकृष्ण भगवान का भजन कीर्तन करें। रात में 12 बजे भगवान को दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से स्नान कराएं। सुंदर वस्त्र, मुकुट, माला, पहनाकर पालने में बैठाएं।

इसके साथ ही धूप, दीप, आदि जलाकर कर पीला चंदन, अक्षत, पुष्प, तुलसी, मिष्ठान, मेवा, पंजीरी, पंचामृत आदि का भोग लगाएं। कृष्ण मंत्र का जाप करें और आरती करें। इसके बाद प्रसाद बांटें और खुद भी प्रसाद खाकर अपना व्रत खोलें।

ध्यान रखें भगवान कृष्ण की पूजा में कुछ चीजों का अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करें। इसमें माखन और मिसरी, पंचामृत, तुलसी, पत्ता आदि महत्वपूर्ण है। इसके अलावा मोरपंख, बांसुरी, गाय की छोटी मूर्ति आदि भी पूजा में शामिल कर सकते हैं।

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